सरकारी स्वीमिंग पूल में नाव चलाकर सीखा सहस्त्रधारा से पार जाना। Khelo India में इंदौर के प्रद्युमन ने जीता स्वर्ण, कांस्य विजेता गुजरात के अनक के साथ इंदौर में किया था अभ्यास। खेलो इंडिया में कांस्य पदक जीतने वाले गुजरात के अनक चौहान ने भी इंदौर के इसी स्वीमिंगपूल में नाव चलाना सीखा।
शहर में कोई नदी नहीं है
शहर में कोई नदी नहीं है जहाँ नाव चलाने का अभ्यास हो सके। मगर फिर भी 17 साल के इंदौरी युवा प्रद्युमन सिंह राठौर ने Khelo India में देशभर के नाविकों को पछाड़ते हुए सलालम स्पर्धा के के-1 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
Keno Selalom को पहली बार शामिल किया गया
Khelo India में पहली बार केनो सलालम स्पर्धा को शामिल किया गया है। इसमें कुल चार इवेंट होना हैं। सोमवार को के-1 वर्ग की स्पर्धा हुई। इसमें इंदौर के प्रद्युमन सिंह राठौर ने पहला, मेघालय के प्योंग सेगकुरबाह ने दूसरा और गुजरात के अनक चौहान ने तीसरा स्थान हासिल किया।
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सूरज उगने से पहले शुरू हो जाता है अभ्यास
भारत की जीवन रेखा कहलाने वाली माँ नर्मदा का पानी जब तूफ़ानी रूप धरण करती है, तब नाविकों का नाव चलाना मुश्किल हो जाता है। शहर के महूनाका स्थित लक्ष्मणसिंह चौहान तरणपुष्कर पर इस चुनौती से बचने के लिए अभ्यर्थी सूर्य उदय से पहले अभ्यास के लिए पहुँच जाते है।
स्वर्ण विजेता प्रद्युमन सिंह ने बताया कि नियमित सहस्त्रधारा पर अभ्यास करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। ऐसे में हमने स्वीमिंगपूल में अभ्यास किया, जिसका फायदा मिला। प्रद्युमन सिंह दूसरे स्थान पर रहने वाले मेघालय के खिलाड़ी से 20 सेकंड आगे रहे। वे इसके पहले भी वाटर स्पोट्र्स में दो अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं।
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स्वीमिंगपूल में अभ्यास किया
सहस्त्रधारा पर पानी की तूफ़ानी रफ्तार के अलावा नदी के उबर-खाबड़ पत्थरों से टकराने का डर बना रहता है। कुछ महीने पहले एक नाविक की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। स्पर्धा के वक्त धारा के विपरीत भी नाव चलाना होता है, वहीं स्वीमिंगपूल में पानी स्थिर रहता है। पत्थरों से बचने का अभ्यास भी नहीं हो पाता।
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