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सूतक-पातक काल के पीछे का वैज्ञानिक कारण, जानिए सूतक काल के वर्जित और आवश्यक कार्य

Sutak

Sutak Time and Rules: साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। इस दिन वैशाख मास की अमावस्‍या तिथि भी है। साल का पहला सूर्य ग्रहण सुबह 07:04 बजे से शुरू होगा और दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा।

जब भी सूर्य ग्रहण लगता है तो उससे 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। Sutak काल से लेकर ग्रहण काल तक तमाम काम करने की मनाही होती है। आइए आपको बताते हैं कि क्‍या होता है सूतक काल और इस समय में क्‍या काम करने चाहिए और क्‍या नहीं।

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क्या होता है Sutak

ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों से कुछ घंटे पहले का समय ऐसा होता है जब प्रकृति संवेदशनशील हो जाती है और वातावरण में नकारात्‍मकता फैल जाती है। इस समय को अशुभ माना जाता है और इसे ही सूतक काल कहा जाता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है, वहीं चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले। सूतक काल का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है।

सूतक और पातक काल में अंतर

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की बात आते ही कुछ चीजें तुरंत जेहन में आ जाती हैं। जैसे- Sutak काल, ग्रहण के दौरान कुछ नहीं खाना, ग्रहण के बाद स्‍नान-दान करना आदि। यानी कि सूर्य ग्रहण-चंद्र ग्रहण के दौरान पालन किए जाने वाले कई नियम याद आ सकते हैं। Sutak काल सूर्य ग्र‍हण-चंद्र ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा भी कुछ मौकों पर सूतक और पातक काल लगते हैं। जैसे- जन्‍म और मृत्‍यु के मौके पर सूतक-पातक लगता है।

जन्‍म और ग्रहण के समय सूतक

सूतक काल उस समय को कहा जाता है, जिसमें कुछ सामान्‍य कार्य करना भी वर्जित हो जाता है। जैसे- भगवान की पूजा-पाठ करना, बाकी लोगों से दूर रहना। कुछ कामों में हिस्‍सा नहीं लेना आदि। जैसे- सूर्य ग्रहण शुरू होने से कुछ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है।

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Sutak काल के दौरान कुछ खाना-पीना, भगवान की पूजा-पाठ करना वर्जित होता है। इसी तरह घर में बच्‍चे के जन्‍म के मौके पर पूरे परिवार पर सूतक लगता है। यानी कि कुछ दिनों तक पूरा परिवार किसी धार्मिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेता है। इसके अलावा मां और बच्‍चे को कुछ समय तक छूते नहीं हैं।

पातक कब लगता है?

वहीं जब परिवार में किसी सदस्‍य की मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद कुछ दिनों तक खास नियमों का पालन किया जाता है, उसे पातक कहते हैं। आमतौर पर यह 12 से 13 दिन का होता है। इस दौरान परिजन किसी पूजा-पाठ और शुभ या मांगलिक कार्य में हिस्‍सा नहीं लेते हैं। घर में भोजन नहीं पकता है। इसी तरह ग्रहण के दौरान भी नकारात्‍मक ऊर्जा बढ़ जाती है, उसका असर हम पर कम से कम पड़े इसलिए Sutak काल माना जाता है।

सूतक-पातक के पीछे वैज्ञानिक कारण

Sutak-पातक काल के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। जन्‍म के बाद मां और बच्‍चे को इंफेक्‍शन से बचाने के लिए उसे सबसे दूर रखा जाता है। उन्‍हें बार-बार छूने की मनाही होती है। इसी तरह किसी व्यक्ति की मृत्यु से फैली अशुद्धि से बचने के लिए पातक काल लगता है। ताकि बाकी लोग किसी संक्रमण आदि की चपेट में ना आएं। इसके अलावा इसी वजह से पूरे घर की साफ-सफाई भी की जाती है। गर्भपात के बाद भी पातक काल लगता है।

सूतक काल में निषेध कार्य

  • Sutak के समय पूजा पाठ न करें।
  • भोजन न पकाएं, ग्रहण के कारण भोजन अशुद्ध हो सकता है।
  • कोई भी नया काम करने से बचें।
  • खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो एक्सरे की मदद ले सकते हैं।
  • झूठ, फरेब और बुरे विचार दिमाग में न आने दें। माना जाता है कि इस समय में किये गए अपराधों के पाप कई गुना ज्यादा होते हैं।
  • Sutak लगने के बाद गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।
  • सूतक लगने के बाद प्रेगनेंट महिलाएं सिलाई कढ़ाई का काम न करें।
  • Sutak लगने के बाद किसी भी धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू, ब्लेड आदि का प्रयोग न करें। इससे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।
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सूतक के समय क्या करें

  • Sutak काल के समय किसी भी मंत्र आदि का मानसिक ध्यान करें। मा‍नसिक ध्‍यान करना काफी शुभ माना जाता है।
  • सूतक लगने से पहले ही खाने की चीजों में तुलसी का पत्ता डाल दें। खासतौर पर दूध व अन्य डेयरी प्रोडक्ट में तो जरूर ही डालें।
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं अपने पास नारियल रखें। इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव खत्म होता है।
  • ग्रहण से पहले गर्भवती महिलाएं पेट पर गेरू लगाएं।
  • Sutak या ग्रहण काल में प्रेगनेंट महिला, वृद्ध या बीमार व्‍यक्ति को भूख लगे तो वही चीज खिलाएं जिसमें सूतक से पहले तुलसी का पत्ता डाला गया हो।

कब लगेगा सूतक

20 अप्रैल 2023 को लगने वाला (Surya Grahan) प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया से देखा जा सकेगा। भारत में ये नजर नहीं आएगा। इसलिए इसका Sutak काल भी यहां मान्‍य नहीं होगा। Sutak काल उस जगह पर मान्‍य होता है, जहां पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है। भारत में ये सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि Stackumbrella.In किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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