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बक्सवाहा के जंगल बचाने रक्तदान, उपवास और पौधरोपण के साथ हरित सत्याग्रह का छतरपुर में आगाज 

बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण बचाओ अभियान समिति द्वारा 26 जून से छतरपुर से हरित सत्याग्रह की शुरुआत की गई। समिति से जुड़े शरद सिंह कुमरे ने एक पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि शांतिपूर्ण हरित सत्याग्रह के लिए छतरपुर जिला प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई है।

इसके बावजूद हीरे के लिए हरियाली का विनाश करने वाली इस परियोजना के खिलाफ देश के पर्यावरण प्रेमियों ने 26 जून से हरित सत्याग्रह की शुरुआत कर दी है। पहले चरण में 26 जून से 30 जून के बीच छतरपुर जिले में उपवास, रक्तदान, पौधरोपण, स्वच्छता सेवा तथा बक्स्वाहा जंगल बचाने के मुद्दे पर व्यापक जन संवाद किया जा रहा है। 

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सोशल मीडिया से हर आदमी को जोड़ने की तैयारी : 

कुमरे ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कोविड महामारी के बीच जब सरकार द्वारा चुनावी रैलियों, सरकारी सम्मेलनों और अनशन पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही है। तब हरित सत्याग्रह जैसे पर्यावरण जन जागरुकता आंदोलन की अनुमति न देना नागरिक अधिकारों को दबाने की कोशिश है।

कोविड महामारी के समय जब इंसान सांसों के लिए तरस रहा है। ऐसे में महज कुछ हीरों के लिए हजारों साल पुराने बक्स्वाहा के जंगल, उसमें रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन व प्रागैतिहासिक शैल चित्रों को खतरे में डालना आत्मघाती कदम है। इस मामले मे पर्यावरण प्रेमी सरकार के साथ सार्थक संवाद चाहते हैं, लेकिन यदि सरकार संवाद नहीं चाहती है, तो हम देशभर की आवाज को सोशल मीडिया से लेकर बक्स्वाहा की जमीन तक पहुंचाने का काम करेंगे।

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आंदोलन से जुड़े पर्यावरण प्रेमियों की प्रमुख मांगे : 


1. बक्स्वाहा डायमंड प्रोजेक्ट निरस्त हो।
2. बक्स्वाहा के जंगल का संरक्षण हो।
3. बक्स्वाहा जंगल के प्रागैतिहासिक शैल चित्र कलाकृति को विश्व धरोहर घोषित कर संरक्षित किया जाए।
4. बक्स्वाहा जंगल से जुड़े ग्रामीणों की खेती व वनोपज आधारित टिकाऊ आजीविका की योजना तैयार की जाए।
5. बक्स्वाहा जंगल को नेचर ओपन स्टडी व नेचर टूरिज़म के रूप में विकसित कर रोजगार व अध्ययन क्षेत्र की नई संभावना विकसित की जाए।

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