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Ravi Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष के व्रत-अनुष्ठान से जातक को शारीरिक एवं मानसिक शांति मिलती है!, जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र

Ravi Pradosh Vrat 2024

Ravi Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन शिव जी की पूजा का विधान है। मई माह का पहला प्रदोष व्रत 5 मई (Ravi Pradosh Vrat 2024) को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

भगवान शंकर पूजन मंत्र

1. शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

रवि प्रदोष व्रत, 2024 डेट और शुभ मुहूर्त(kab hai ravi pradosh vrat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई, 2024 दिन रविवार शाम 05 बजकर 41 मिनट से वैशाख मास के कृष्ण(Ravi Pradosh Vrat 2024) पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। यह 6 मई, 2024 दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि को देखते हुए इस बार प्रदोष व्रत 5 मई, 2024 को रखा जाएगा। ।

रवि प्रदोष व्रत का महत्व(Ravi Pradosh Vrat 2024)

प्रदोष व्रत का महत्व दिन के अनुसार होता है. रवि प्रदोष व्रत आरोग्य और सौभाग्य में वृद्धि करने वाला माना जाता है. स्वास्थ्य बेहतर(Ravi Pradosh Vrat 2024) करने के लिए रवि प्रदोष का व्रत फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि इस व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने से शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है.

रवि प्रदोष पूजा विधि

रवि प्रदोष को प्रातः ब्रह्म बेला में उठकर स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद, प्रदोष व्रत एवं शिव-पूजन का संकल्प लें. प्रदोष व्रत में किसी भी प्रकार के नमक का सेवन वर्जित होता है. बहुत से लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं. अब मंदिर की साफ-सफाई कर धूप दीप प्रज्वलित करें, और नियमित पूजा(Ravi Pradosh Vrat 2024) करें. प्रदोष की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है. संध्याकाल के समय एक बार पुनः स्नान करने के बाद मंदिर के समक्ष उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठें. सर्वप्रथम शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं. इसके पश्चात पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. अब एक बार पुनः गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. इस दरम्यान निम्न श्लोक का जाप करते रहें.

‘ॐ नमः शिवाय’

शिवलिंग पर बिल्व-पत्र, बेर, धतूरा, भांग पत्ता, फल तथा दूध से बनी मिठाई अर्पित करें(Ravi Pradosh Vrat 2024). अगले दिन प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात व्रत का पारण करें.

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