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कोविड वैक्सीन के दाे टीके लगने के बाद फेफड़ों पर अटैक नहीं कर पा रहा है कोरोना, सीटी स्कैन के बाद साफ हुई तस्वीर 

कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा तीव्र, संक्रामक तरीके से लोगों को बीमार कर रही है। यही कारण है कि अप्रैल के महीने में कोरोना ने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ते हुए भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को तहस नहस कर दिया। इस बार संक्रमण ने बुजुर्गों और गंभीर रूप से बीमार लोगों के अलावा युवाओं और किशाेरों को भी अपना शिकार बनाया है। ऐसे में वैक्सीन संक्रमण से बचने में एक ब्रह्मास्त्र के रूप में सामने आई है। 

दरअसल वैक्सीनेशन के बाद व्यक्ति कोविड संक्रमित तो हो सकता है, लेकिन इसका फेफड़ों पर संक्रमण बहुत कम हो रहा है। संक्रमित हुए लोगों के सीटी स्कैन से वैक्सीन की विश्वसनीयता सामने आ रही है। डॉक्टराें की मानें तो टीकाकरण के बाद फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। वहीं बगैर वैक्सीनेशन के एक सप्ताह में ही सौ फीसदी तक फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। 

1. एक सप्ताह में 80 फीसदी संक्रमण : 
ईदगाह निवासी 55 वर्षीय महिला ने टीका नहीं लगवाया था। 29 अप्रैल को उन्हें हल्का फीवर आया। परिवार जनों के कहने पर भी उन्होंने आरटीपीसीआर टेस्ट न नहीं करवाया और न ही समय पर दवाएं लीं। 3 अप्रैल पर तबियत बिगड़ने पर उन्होंने आरटीपीसीआर टेस्ट भी करवाया और दवाएं भी शुरू कीं, लेकिन फीवर कम नहीं हुआ। 5 अप्रैल को उनका एसपीओ2 लेवल तेजी से डाउन होकर 85 पर पहुंच गया। 


आनन-फानन में उन्हें पीपुल्स अस्पताल में दाखिल करवाया गया। जहां सीटी स्कैन में फेफड़ों में 80 फीसदी तक संक्रमण आया है। हालांकि वे अभी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। 

2. वैक्सीन के दोनों डोज लिए संक्रमण ज्यादा नहीं बढ़ा : 
वहीं महिला के पति (59 साल) भी 1 मई को संक्रमित हो गए। हालांकि वे 15 अप्रैल को कोवीशील्ड का दूसरा डोज ले चुके थे। इस दौरान उन्हें भी तेज बुखार, खांसी बदन दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षणों से ग्रसित हो गए। हालांकि इस दौरान उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले दिन से ही दवाएं शुरू कर दीं। इसलिए 5 मई को लक्षण कम हो गए। 


हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने 6 मई को पीपुल्स अस्पताल में ही सीटी स्कैन करवा लिया। इस दौरान केवल 5 फीसदी संक्रमण ही आया है। डॉक्टर ने उन्हें घर रहकर ही दवाएं लेने की सलाह दी है।

3. एक टीका लगवाया 35 फीसदी हुआ संक्रमण 
एक अन्य मामले में 56 वर्षीय एक व्यक्ति 30 मार्च को कोवीशील्ड की पहली डोज ले चुके थे। उन्हें 12 मई के बाद वैक्सीन का दूसरा डोज लगना था। हालांकि इसके पहले ही वे अप्रैल के अंतिम सप्ताह में संक्रमित हो गए। इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने पर 4 मई को हमीदिया अस्पताल में एडमिट करवाया गया। डॉक्टरों की सलाह पर जब सीटी स्कैन करवाया गया तो फेफड़ों में 35 फीसदी तक संक्रमण आया है।


डॉक्टरों की मानें तो वैक्सीन का पहला डोज लग जाने के बाद एंटीबॉडी विकसित तो हो जाती है, लेकिन ये संक्रमण को पूरी तरह रोक पाने में प्रभावी नहीं होती हैं। हालांकि व्यक्ति को बचाने में एक डोज भी प्रभावी होता है। लेकिन संक्रमण को पूरी तरह नहीं रोक पाता है।

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गंभीर संक्रमण को रोकती है वैक्सीन :
इंडियन रेडियोलाॅजी एंड इमेजिंग एसाेसिएशन के सेक्रेटरी डॉ. चंद्रप्रकाश की मानें तो कोरोना का टीका गंभीर संक्रमण को रोकने में प्रभावी सिद्ध हो रहा है। हालांकि टीका लगने के बाद भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है।

हालांकि दोनों डोज ले चुके व्यक्ति को संक्रमण तो होगा, लेकिन इसके गंभीर स्तर तक पहुंचने की संभावना 100 फीसदी तक कम हो जाती है। टीके के बाद कोरोना से मौत का जोखिम भी 99.99 फीसदी तक कम हो जाता है। 

टीका लगने के बाद संक्रमण हो तो घबराएं नहीं :
वहीं गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पराग शर्मा बताते हैं कि कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। लेकिन इससे ये नहीं मानना चाहिए की वैक्सीन असरकारी नहीं है। दोनों डोज लेने के बाद कोरोना वासरस आंतरिक अंगों को कम प्रभावित कर पाता है। दोनों टीके लेने के बाद व्यक्ति आईसीयू और वेंटीलेटर में जाने के जोखिम से बच जाता है।

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