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Vaishakh Purnima 2024: किस दिन मनाई जाएगी वैशाख पूर्णिमा, जानिए तिथि, महत्व और पूजा विधि

Vaishakh Purnima 2024

Vaishakh Purnima 2024: प्रत्येक माह चंद्रमा की घटती-बढ़ती कलाओं के कारण अमावस्या और पूर्णिमा(Vaishakh Purnima 2024) तिथियां आती हैं। शुक्ल पक्ष में जब चंद्रमा पूर्ण हो जाता है तो उसे पूर्णिमा कहते हैं। माह की अंतिम तिथि को पूर्णिमा या पूर्णमासी कहा जाता है। इस बार वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि 23 मई 2024 को पड़ रही है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा और व्रत करने के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा करने की भी परंपरा है। तो आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा का महत्व, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण व्रत और पूजा विधि।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का नियम(Vaishakh Purnima 2024)

  • सबसे पहले सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
  • यदि जो लोग किसी कारण गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वे घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं।
  • इसके बाद शाम के समय स्वच्छ हो जाएं।
  • चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य के जल में चांदी या फिर तांबे के सिक्के(Vaishakh Purnima 2024), अक्षत, रोली, सफेद फूल, पान, सुपारी, कच्चा दूध मिलाएं।
  • इसके बाद विधि अनुसार चंद्र देव की पूजा करें।
  • चांद की रौशनी में कुछ देर ध्यान करें।
  • वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  • अर्घ्य देते समय भूलकर भी जूता, चप्पल न पहनें।
  • सही दिशा में मुख करके अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य के दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।
  • अर्घ्य के दौरान भगवान चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें।

चंद्र देव मंत्र

  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
  • ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

चंद्र देव स्तुति

ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:

श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।

गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:”

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

वैसे तो हर पूर्णिमा तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है लेकिन वैशाख पूर्णिमा इसलिए और भी खास(Vaishakh Purnima 2024) मानी जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था। इसी कारण से वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु और चंद्रदेव की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन दान करने और पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

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