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16 साल मुंबई में किया कड़ा संघर्ष, तब जाकर मिली पहली वेब सीरीज महारानी : करन 

मुंबई में लगभग 16 सालों तक कड़ा संघर्ष किया। इस दौरान कई बार तो लगा कि आगे रास्ता बहुत कठिन है। मुझे मुकाम कैसे मिलेगा, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद मेरे ऊपर भरोसा जताया गया और मुझे महारानी (Web Series Maharani) को डायरेक्ट करने का मौका मिला। यह कहना है वेब सीरीज महारानी के निर्देशक करन शर्मा का। 

उन्होंने StackUmbrella काे दिए विशेष साक्षात्कार में इंडस्ट्री में बिताए इतने सालों के अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने भोपाल के बारे में भी खुलकर बात की। 

मेरी पैदाइश दिल्ली की है और में दिल्ली में ही पला और बड़ा हुआ। मैं एक मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुआ और पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और 9 से 5 उनका काम करने का समय था। ये बात मेरे मन में शुरू से ही थी कि मुझे 9 से 5 वाला कोई जॉब नहीं करना। कभी किसी भी काम के लिए पैसों की जरूरत होती थी, तो वो कभी समय पर पूरी नहीं हुई। इसलिए मन में एक बात घर कर गई थी। कुछ करना तो है, लेकिन करना क्या है? यह नहीं पता था। 

नानी के किस्सों का हुआ ऐसा असर कि बन गया डायरेक्टर :
बचपन से ही नानी मुझे कई किस्से और कहानियां सुनाती थीं। इन किस्से कहानियों में मन ऐसा रमा कि बड़े होकर इसी दिशा में आगे बढ़ने का और कुछ करने का विचार आया। बस फिर एक दिन मैंने घर वालों से कहा कि मुझे मुंबई जाना है। वहीं हमारे परिवार में दूर दूर तक कोई फिल्म इंडस्ट्री में नहीं था।


लेकिन घर वाले तो हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे किसी सेफ जॉब में आगे बढ़ें, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री का मन तो बन चुका था। बस घर वालों ने बोल दिया तुम्हारी अपनी लाइफ है, तुम खुद देख लो। आगे न हम तुमसे कोई उम्मीद रखेंगे और न ही तुम हमसे कोई उम्मीद रखना। बस यहीं से मेरा मायानगरी का सफर शुरू हो गया। 

यह फैसला लेने के बाद मैंने कुछ लोगों से सलाह ली और दिल्ली में ही थिएटर करने लगा। इस दौरान मुंबई से आने वाले कई कलाकारों से अक्सर मुलाकातें होने लगीं और उनसे काफी कुछ जानने को मिला। मेरा फोकस एक्टिंग पर कराया जा रहा था, लेकिन एक्टिंग अपनी जगह है मुझे तो टेक्निकल चीजें जाननी थीं। थिएटर में काफी कुछ सीखने के बाद मैं 2003-04 में मुंबई आ गया था।

इंडस्ट्री में हर कदम पर है स्ट्रगल : 
मैं सोचकर गया था कि मुंबई जाकर ही काम मिल जाएगा, लेकिन यहां तो दुनिया ही अलग थी। इसके बाद दो तीन साल लग गए वहां के सारे सिस्टम को समझने में आखिर कार मुंबई में काम कैसे होगा? किस तरह होगा इसको समझने में। शुरुआत में थोड़ा मुश्किल था, इसलिए मैं मेंटली तैयार था कि कुछ भी काम मिलेगा। कैसे भी मिलेगा? मैं उसे कर लूंगा। 

इसी तरह पहली फिल्म में काम मिला। इसके बाद एक के बाद एक कई फिल्मों में काम मिले। लेकिन इंडस्ट्री में हर रोज स्ट्रगल है। इसलिए जब तक काम नहीं मिल रहा था, ताे काम हासिल करने का स्ट्रगल था। जब काम मिल गया तो अच्छा काम हासिल करने का स्ट्रगल था।

बड़ी फिल्माें में आसानी से नहीं मिलता काम : 
वहीं बड़ी फिल्मों में काम हासिल करने गया तो वहां कहा गया कि आपने पहले कभी कोई बड़ा काम नहीं किया। जिसके बाद काफी समय छोटे पर्दे पर एडवरटाइजमेंट के लिए काम किया। इस दौरान मैं कई एड फिल्मों को डायरेक्ट कर चुका था। इसी दौरान मेरी मुलाकात डायरेक्टर हबीब फैसल से हुई, जिनके साथ मैंने एक शो किया और उसके बाद सोनी लिव पर भी एक शो किया।


इस दौरान कई बार तो 6 महीने तक भी खाली बैठा रहा। 2010 में मेरी शादी भी हो गई थी और फैमिली का प्रेशर भी सर पर था। इसलिए कभी कभी तो लगता था कि शायद कभी कुछ बड़ा काम मिलेगा ही नहीं। 

इस तरह मिला महारानी को डायरेक्ट करने का काम : 
इसी दौरान एक दिन महारानी के प्रोड्यूसर नरेन कुमार (Producer Naren Kumar) जी का फोन आया। उन्होंने मुझसे पूछा कि सुभाष जी के साथ फिल्म में अस्सिट करोगे। सुभाष जी के बारे में मैंने काफी कुछ सुना था। बस यहीं से मैं सुभाष जी के साथ जुड़ गया और उनके साथ एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में मैडम चीफ मिनिस्टर (Madam Chief Minister) का शूट किया।तभी पता चला एक वेब सीरीज का काम भी शुरू होने वाला है।

इसी दौरान एक दिन सुभाष कपूर (Director Subhash Kapoor) सर का फोन आया और उन्होंने कहा ये एक नई वेब सीरीज है और पॉलिटिकल ड्रामा है। इसका शूट तुम्हें करना है। मैं हैरान था और मैंने सुभाष सर से सिर्फ इतना कहा कि सर मैं कैसे? मेरी तो पॉलिटिकल नॉलेज भी बहुत कम है। उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया और आज महारानी आप सबके सामने है। 

बहुत ही खूबसूरत है भोपाल : 
भोपाल मुझे बहुत ही खूबसूरत लगा। भोपाल आने से पहले हमारे पास बहुत से ऑप्शन थे। हम बिहार में शूट करने का प्लान कर रहे थे, लेकिन वहां कोविड केसेस बहुत ज्यादा थे। इसी दौरान भोपाल की लोकेशन के फोटोग्राफ मेरे पास आए। हालांकि इसके पहले भोपाल में कभी काम नहीं किया था। इसलिए यहां के बारे में ज्यादा पता नहीं था।

लेकिन यहां की लोकेशंस बहुत अच्छी थीं। लोग बहुत सपोर्टिव थे। हालांकि अभी भी पूरे भोपाल की सभी लोकेशन नहीं देख पाया हूं। मुझे लगता है कि भोपाल में और भी जगह हैं, जहां पर काम किया जा सकता है और अगली बार आऊंगा तो यहां और भी जगहों पर जाकर शूट करूंगा।

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