वे बताती हैं कि तनिष्का को भरतनाट्यम सिखाने की जरूरत नहीं पड़ी। जब वो छोटी थी उसके पैर खुद ही थिरकने लगते थे। मंजूमणि ने ही अपनी बेटी को भरतनाट्यम के सभी गुर सिखाएं हैं। वे ही उसकी पहली गुरु भी हैं।
भारत भवन में दी थी पहली प्रस्तुति :
तनिष्का ने ढाई साल की उम्र में भारत भवन में अपनी पहली प्रस्तुति दी थी। इसके बाद कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी है। केरल में स्थित विश्वप्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर के मेल्पत्तूर ऑडिटोरियम में तनिष्का ने डेढ़ घंटे की एकल भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुति दी थी। प्रयागराज में राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में तनिष्का ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। मध्यप्रदेश के साथ ही दिल्ली, केरल, तेलंगाना, मुम्बई में वो अपनी प्रस्तुतियां राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सवों में भी दे चुकी हैं ।
2016 में तनिष्का को इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल में परफार्मेंस के लिए आंध्र प्रदेश में भी आमंत्रित किया गया था। नेपाल में आयोजित काठमांडू इंटरनेशनल डांस फेस्ट सहित कई बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं।
अभिनय के क्षेत्र में भी आजमा रहीं हाथ :
तनिष्का पिछले कुछ सालों से अभिनय के क्षेत्र में भी हाथ आजमा रही हैं। वे कई थिएटर शो में परफाॅर्म कर चुकी हैं। यूनिसेफ की गुडविल एंबेसडर तेत्सुको कुरोयानागी पर आधारित जेपेनीस बेस्ट बुक सेलर अवार्ड किताब तोत्तोचाॅन पर बने नाटक में तनिष्का मुख्य किरदार निभाती आई हैं। इस नाटक के पूरे देश में 34 से अधिक शो हो चुके हैं। यह किताब कुरोयानागी की ऑटोबायोग्राफी है, जिसे कई अवार्ड मिल चुके हैं।
इसके अलावा न्यूटो और प्लूटो, एक कहानी बस्तर की, अंधेर जंगल चौपट शेर और पीली पूंछ में भी अपने अभिनय का जौहर दिखा चुकी हैं।
मिल चुके हैं कई सम्मान :
तनिष्का को राज्य बालश्री, कला सौरभ नृत्य किशोरी, बाल नर्तकी, नृत्य रत्न एवं कला ज्योति सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। नन्हीं उम्र में ही कला जगत में विशिष्ट स्थान बनाने के लिए उन्हें अक्सर कई बड़े मंचों पर प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाता है।