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रेमडिसिविर के बाद ब्लैक फंगस की दवा का टोटा, कालाबाजारी रोकने प्रदेश सरकार की सख्ती शुरू

कोरोना के बाद अब मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के कारण बेहाल है। पूरे प्रदेश में इस समय ब्लैक फंगस के 425 से भी ज्यादा एक्टिव केस हैं। ब्लैक फंगस के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित जिले  इंदाैर और भोपाल हैं, लेकिन ब्लैक फंगस का संक्रमण लगातार विकराल हो रहा है।

इसी कारण प्रदेश सरकार ने इसके इलाज में काम आने वाले ड्रग एंफोटेरिसिन बी लाइपोसोमोल की बिक्री पर सख्ती करना शुरू कर दी है। मप्र में अब सबसे पहले यह इंजेक्शन सरकार द्वारा ब्लैक फंगस के इलाज के लिए बनाई गई विशेष यूनिट में ही सप्लाई हाेंगे। बाद में प्राइवेट कॉलेजों को उपलब्ध कराए जाएंगे। ताकि दवा की कालाबाजारी पर लगाम लगाई जा सके।

5 जिलों में बनाई गई हैं विशेष यूनिट : 
इस बीमारी के इलाज के लिए प्रदेश के पांच जिलों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में विशेष यूनिट बनाई गई हैं। इंजेक्शन की सबसे पहले सप्लाई सरकारी अस्पतालों की इन्हीं यूनिटों में होगी। इसके बाद इन्हें निजी अस्पतालों में एडमिट पेशेंट के लिए भेजा जाएगा। 


वर्तमान में इस इंजेक्शन की भी बाजार में बहुत किल्लत है। यदि इस दवा को समय पर पेशेंट को नहीं दिया गया तो उसकी मौत भी हो सकती है।

सरकार ने तय की अधिकतम 6248 रुपए कीमत : 
नियमों को सख्त करने के साथ ही सरकार ने इसकी कीमत भी तय कर दी है। वर्तमान में प्रदेश में तीन कंपनियों के द्वारा एंफोटेरिसिन बी लाइपोसोमोल ड्रग की सप्लाई की जा रही है। जिसमें सबसे कम कीमत सन फार्मा के द्वारा बनाई जा रही वाइल की है। 


सरकार ने इनकी कीमत तय करते हुए अलग-अलग कंपनियों के अलग अलग रेट तय किए हैं।

1. सन फार्मा : 4792 रुपए
2. भारत सीरम : 5788 रुपए
3. माईलान : 6248 रुपए 

कालाबाजारी रोकने प्रशासन की सख्ती शुरू : 
कालाबाजारी को रोकने के लिए फूड एंड ड्रग विभाग द्वारा सोमवार को निर्देश जारी का इसकी सीधी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। आदेश के बाद दुकानदार इस इंजेक्शन को सीधे बाजार में नहीं बेच सकेंगे। आदेश के बाद होलसेलर या स्टॉकिस्ट सीधे अस्पताल को ही ये इंजेक्शन उपलब्ध करवाएंगे।

गाैरतलब है कि इस इंजेक्शन की बाजार में खासी कमी है। जिसके कारण मरीज के परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।

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