दरअसल कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पसंद नहीं करते हैं। लेकिन पिछले एक माह में हुई दो बार की मुलाकात ने इस भ्रम को तोड़ दिया है।
देश से लेकर प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा :
इस दौरान दोनों नेताओं के बीच राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश की राजनीति के कई मसलों पर विचार विमर्श हुआ। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इस बार की खींचतान से सबक लेते हुए 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से रणनीति बनाना शुरू कर दी है। मिशन 2023 पूरी तरह से सक्सेस हो इसको लेकर लगातार मंथन किया जा रहा है। इससे एक बात तो तय है कि आने वाले समय में हमें प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
वहीं पिछले दिनों हुई राहुल गांधी और कमलनाथ की मुलाकात के बाद इस बात को भी हवा दी जा रही है कि अगले विधानसभा चुनाव एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की अगुवाई में ही संपन्न होंगे। साथ ही इस बात को हवा देने वाले नेता चाहते हैं कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा भी दे दें और वे पूर्णकालिक रूप से संगठन को मजबूती देने का काम करें।
2023 से पहले बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं कमलनाथ :
कमलनाथ खेमे के कई नेताओं की मानें तो 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस फिर से प्रदेश की सत्ता में काबिज होगी। चुनावों को देखते हुए कमलनाथ अभी से नई टीम बनाने की कवायद में जुट गए हैं। वहीं आने वाले समय में प्रदेश कांग्रेस के संगठन में कई बड़े बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। इसे लेकर कमलनाथ की प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से काफी समय से बातचीत भी चल रही है।
हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव तक की रहा आसान नहीं होगी। भले ही कांग्रेस के वरिष्ठ जन इस बात को मानें कि 2023 में प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी होगी, लेकिन इससे पहले नाथ को खंडवा लोक सभा और तीन विधानसभा के उपचुनाव में अपने चुनावी प्रबंधन की ताकत दिखानी होगी। दरअसल नाथ के लिए आगे आग का दरिया है और जिसमें डूब कर ही उन्हें पार जाना होगा।
सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन, डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ लंबे समय नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए फील्डिंग कर रहे हैं।
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