सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यानि 20-03-23 को लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या करेगी।
याचिका हुई खारिज (Live-in Relationship)
बता दें कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) इस याचिका से काफी नाराज दिखे। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता वकील ममता रानी से पूछा कि ‘क्या वह इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहती हैं या चाहती हैं कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में न आएं!’ ।
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‘जरूरत पड़ी तो लगेगा जुर्माना’
साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने Live-in Relationship की रजिस्ट्रेशन संबंधी इस याचिका को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि लोग अदालत में कुछ भी लेकर चले आते हैं। सुप्रीम कोर्ट आगे जरूरत पड़ने पर ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि ‘केंद्र सरकार को लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से क्या लेना-देना?
‘सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए थी याचिका’
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप चाहती हैं कि हर लिव इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) रजिस्टर्ड हो? क्या आप इन लोगों की देखभाल या सुरक्षा को बढ़ावा देने या उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हैं? ये सब अनर्गल विचार हैं, जिन्हें आप चाहती हैं कि अदालत लागू करे।’ वहीं, वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता की मंशा है कि Live-in Relationship में रहने वालों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए उनके रिश्ते को रजिस्टर्ड किया जाए।
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रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन के नियम की थी मांग
वकील ममता रानी ने एक याचिका दायर कर लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) के पंजीकरण के लिए नियम बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। इसमें लिव-इन पार्टनरों द्वारा कथित रूप से किए गए बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में बढ़ोतरी का हवाला दिया गया था। याचिका में श्रद्धा वाकर जैसे हाल के मामलों का जिक्र था, जिसकी लिव इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने हत्या की थी। याचिका में ऐसे रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की गई थी।