भारत की धार्मिक, सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टी से अहम भारत-चीन सीमा पर स्थित देश के अंतिम शहर Joshimath का अस्तित्व खतरे में आ गया हैं। Joshimath में लंबे अरसे से घर-सड़क धंस रहें हैं। इस भू-संधाव को लेकर स्थानीय लोग पिछले कई वर्षों से Joshimath को बचाने के लिए संघर्ष समिति आंदोलन कर रही हैं। इससे पहले साल 2006 में वरिष्ठ भूस्खलन वैज्ञानिक डॉक्टर स्पप्रामिता चौधरी ने जोशीमठ का अध्ययन किया था। और वहां की सरकार को आगाह भी किया था।
देश की सुरक्षा के लिए क्यों हैं खतरे के घंटी?
Joshimath में तेजी से हो रहे भू-स्खलन का दायरा भारत-तिब्बत सीमा की ओर बढ़ने लगा है। साथ ही वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स का कहना है,कि इस भू-स्खलन की आपदा पर जल्द ही कोई प्रभावी रोक नहीं लगी, तो ये पूरे देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकती है। साथ ही साथ Joshimath का वजूद भी मिट सकता हैं।
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जोशीमठ कहां स्थित है, क्या भू-स्खलन का मामला हैं, इसका खतरा और दायरा?
जोशीमठ मोरेन में बसा हैं। जो ‘गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर हैं। साथ ही जोशीमठ, को ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड के एक चमोली जिले में शहर और एक (नपा) नगरपालिका है। जोशीमठ लगभग 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है।जोशीमठ और यह इलाका धार्मिक, पौराणिक और एतिहासिक शहर होने के साथ ही सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। यहां से भारत-तिब्बत सीमा सिर्फ100 KM की दूरी पर है।
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