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Ramlala Pran Pratishtha: रामलला प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर दुर्लभ ‘इंद्र’ योग समेत बन रहे हैं ये 7 अद्भुत संयोग

Ramlala Pran Pratishtha

Ayodhya Ram Mandir Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। जिसे लेकर भव्य तैयारियों की गई हैं। राम लल्ला की मूर्ति स्थापना के लिए जो शुभ मुहूर्त चुना गया है उसमें 4 सैकेंड बेहद खास हैं। आइए जानते हैं राम भगवान की स्थापना के लिए क्यों खास है 4 सैकेंड का मुहूर्त।

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण होंगे। उत्तरायण देवताओं के लिए दिन का समय होता है। इस दौरान प्रकाश में वृद्धि होने लगती है। इसी दिन से युगारंभ भी होता है। अतः रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मकर संक्रांति के पश्चात की तिथि का चयन किया गया है। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथि है। द्वादशी तिथि संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट तक है। इसके पश्चात, त्रयोदशी तिथि है। वहीं, नक्षत्र मॄगशिरा है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय

पंचांग एवं अन्य घटकों को ध्यान में रखते हुए रामलला की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा(Ramlala Pran Pratishtha) देने के लिए 22 जनवरी’ 2024 पौस माह के द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश को चुना गया है जो दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक अर्थात 84 सेकंड का होगा। इसी समय में प्रभु श्रीराम की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा दी जाएगी।

शुभ योग(Ramlala Pran Pratishtha)

पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यानी 22 जनवरी को सर्वप्रथम ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 47 मिनट(Ramlala Pran Pratishtha) तक है। इसके पश्चात, इंद्र योग का निर्माण होगा। इस योग में ही रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र क्या है?

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में रुद्राक्ष की माला को सक्रिय करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा मंत्रों(Ramlala Pran Pratishtha) का जाप किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा पूजा के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त रुद्राक्ष की माला को बहुत शक्तिशाली और दिव्य माना जाता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग

22 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 14 मिनट से अगले दिन यानी 23 जनवरी को 04 बजकर 58 मिनट तक है। वहीं, अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक है। वहीं, विजय मुहूर्त 02 बजकर 19 मिनट से लेकर 03 बजकर 01 मिनट तक है। इस दिन सुबह 07 बजकर 36 मिनट तक बव करण का योग है। इसके बाद बालव करण का निर्माण होगा। बालव करण संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट तक है।

भगवान शिव का वास

ज्योतिषियों की मानें तो रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दिन भगवान शिव संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके पश्चात, नंदी पर सवार होंगे। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के अनुष्ठान करना सिद्धकारी होता है।

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प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म में क्या है?

हिंदू धर्म में, “प्राण प्रतिष्ठा” के नाम से जाने जाने वाले एक प्राचीन अनुष्ठान में पवित्रीकरण के बाद मंदिर में देवता की मूर्ति स्थापित करना शामिल है। वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए, पुजारी मूर्ति स्थापना अवधि के दौरान कई अनुष्ठान करते हैं। प्राण जीवन शक्ति का प्रतीक है, जबकि प्रतिष्ठा नींव का प्रतीक है।

प्रतिष्ठा किसका प्रतीक है?

मैक्स वेबर ने ‘प्रतिष्ठा का प्रतीक’ शब्द का प्रतिपादन(Ayodhya Ram Mandir) किया। यह लोगों की सामाजिक अवस्था के अनुसार खरीदी जाने वाली वस्तुओं के बीच के संबंध को दर्शाता है अर्थात् वे वस्तुएँ जिन्हें वे खरीदते तथा प्रयोग में लाते हैं। वे उनकी सामाजिक अवस्था से निकटतम संबंध रखती हैं।

नई मूर्ति की पूजा कैसे करें?

आपसे प्रार्थना है कि अब आप नई मूर्तियों में अपना स्‍थान ग्रहण करें. इसके बाद पुरानी मूर्तियों की रोली अक्षत, खील-बताशे, पुष्‍प, मिष्‍ठान वगैरह चढ़ाकर पूजा करें. आरती करें, इसके बाद नई मूर्ति को वहां पर रख दें और पुरानी मूर्ति को पूजा के स्‍थान से हटा दें.

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