इस दौरान उन्होंने थिएटर के विषय पर भी अपनी बेबाक राय रखी। राकेश की मानें तो जो भी लोग फिल्म या टेलीविजन में मनचाहा मुकाम हासिल नहीं कर पा रहे हैं या कर सके हैं। वे थिएटर से अपनी कला को पूरी दुनिया के सामने ला सकते हैं।
अच्छे काम को हमेशा याद किया जाता है:
एक समय हुआ करता था, जब आप कॉमेडी फिल्म परिवार के साथ बैठकर देखते थे। एक दौर ऐसा भी था जब ऐसा भी था जब सी ग्रेड फिल्म बनती थीं और चलती भी थीं। लेकिन समय के साथ वो भी बनना बंद हो गईं, क्योंकि अच्छी फिल्मों की समझ वाले बुद्धिजीवी कभी भी ऐसी फिल्मों को पसंद नहीं करेंगे। हालांकि समय बदल रहा है, टेलीविजन और फिल्मों में अब कई तरह के एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं। यह कितने सफल होते हैं, यह आने वाला समय ही बताएगा?
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लेकिन अच्छे काम को हमेशा याद रखा जाता है। लोग आज भी अच्छे कॉमेडी सीरियल्स को याद करते हैं। जैसे “श्रीमान श्रीमती” “ये साली जिंदगी” और कई ऐसे सीरियल्स हैं, जो मैंने किए हैं और आज के दौर में दर्शकों को इसकी कमी खलती है।
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अपनी एक्टिंग को निखारने के लिए थिएटर से बढ़िया कोई जगह नहीं हो सकती है। मैं खुद पिछले 40 साल से एक्टिंग कर रहा हूं, लेकिन ऐसा एक भी महीना नहीं जाता कि जब मैं स्टेज पर परफॉर्म न करूं।
टेलीविजन की अहमियत घटी :
राकेश की मानें तो मौजूदा समय में टेलीविजन की अहमियत घट गई है। आज लोग जब चाहें तब अपने मोबाइल, लैपटॉप पर जो चाहे देख सकते हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का एंटरटेनमेंट होता है। इन सबके चलते लोगों का रुझान टीवी के प्रति कम हुआ है। अब थियेटर के प्रति लोगों का उत्साह होने लगा है। इसमें भी पैसा है। थिएटर के माध्यम से कोई भी अपनी कला को पूरी दुनिया के सामने ला सकता है।
टेलीविजन को छोड़ अब लोग थिएटर देखना पसंद कर रहे हैं। मेरा मानना है कि थिएटर के माध्यम से भी अपनी कला को पूरी दुनिया तक पहुंचाया जा सकता है। साथ ही थिएटर के कलाकारों को भी बहुत सम्मान मिलता है।
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