Adani-Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को अडानी समूह की कंपनियों द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने माना कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा की जा रही जांच पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है। न्यायालय ने यह भी माना कि एफपीआई और एलओडीआर नियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने के लिए सेबी को निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं उठाया गया था। न्यायालय ने माना कि इन नियमों में कोई खामियां नहीं हैं।
Adani-Hindenburg Case
Adani-Hindenburg: The Supreme Court says the power of this court to enter the regulatory framework of SEBI is limited pic.twitter.com/923aAVfVjG
— ANI (@ANI) January 3, 2024
कोर्ट ने यह भी कहा कि सेबी ने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने सेबी को शेष 2 मामलों में तीन महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने सेबी जांच पर संदेह करने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा समाचार पत्रों की रिपोर्टों और संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) की रिपोर्ट पर निर्भरता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
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क्या है पूरा मामला(What is the whole Matter)?
पिछले साल 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों को अडानी ग्रुप ने झूठा और मनगढंत बताया लेकिन इसके आने के बाद अडानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा। अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर नीचे आ गए। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर सरकार पर आरोप लगाया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी भी गठित कई गई थी।
कोर्ट ने क्या कहा(What Did The Court Say)
सेबी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से सेबी की रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है जिससे इस मामले में किसी प्रकार का संदेह हो। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई ठोस आधार ना हो तब तक सेबी की रिपोर्ट पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सेबी ही इस मामले की सही जांच कर सकती है। उसने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश कर दी है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बाजार नियामक SEBI की गतिविधियां संदिग्ध हैं, क्योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है। हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया।
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