किसी नेता को दूध से नहलाया जाए ऐसा अब तक सिर्फ फिल्मों में ही देखा गया था लेकिन दिल्ली की जनता ने इस फिल्मी शीन को भी हकीकत में बदल दिया। आम आदमी पार्टी के पूर्वी दिल्ली के पार्षद हसीब-उल-हसन ने पहले नाले में छलांग लगाई। आप पार्षद का नाले में कूदने के बाद नायक फिल्मी अंदाज में दूध से नहाते हुए वीडियो भी सुर्खियों में आ गया है।
मामला पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर विधानसभा के वार्ड शास्त्री पार्क 25ई का है. हसीब उल हसन आप से मनोनीत पार्षद हैं। हसन का कहना है कि नाले की सफाई नहीं होने से नाला ओवरफ्लो हो रहा था। बार-बार अधिकारियों और भाजपा पार्षद से विधायक से शिकायत करने के बाद भी नाले की सफाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें नाला साफ करने के लिए नीचे उतरना पड़ा।
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नाले में https://t.co/apkG8A1Md5 pic.twitter.com/3ZfXcpeScS
— Mukesh singh sengar मुकेश सिंह सेंगर (@mukeshmukeshs) March 22, 2022
हबीब-उल-हसन ने जब नाले में छलांग लगाई तो सैकड़ों की संख्या में लोग वहां सफाई कार्य में सहयोग देने पहुंचे। उन्हें बांस दिया गया, वे कमर तक पानी में सफाई करते नजर आए। लोग जय-जयकार करते रहे। बाद में उनके समर्थकों ने उन्हें एक जगह बिठाया और उन्हें साफ करने के लिए एक मग में दूध से भरा स्नान कराया गया।
एमसीडी चुनावी ड्रामा !
पूर्वी दिल्ली से आप पार्षद हसीब उल हसन नाले की सफाई के लिए नाले में उतरे ,फिर उन्हें दूध से नहलाया गया pic.twitter.com/NAIjgdHpnH— Mukesh singh sengar मुकेश सिंह सेंगर (@mukeshmukeshs) March 22, 2022
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीन नगर निगमों को एकीकृत करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को इसके बिल को मंजूरी दे दी। इसके लिए संसद में बजट सत्र में विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि 2011 में जब तीनों नगर निगमों का विलय हुआ था, तब भी उसका उद्देश्य सफल नहीं रहा है. तीनों नगर निगम गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। वे नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी पर्याप्त राहत नहीं मिल रही है। वहीं, संसाधनों की कमी के कारण नागरिकों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी ने केंद्र के इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. उनका कहना है कि यह एकीकरण कभी भी किया जा सकता था, इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
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