अहमदाबाद की एक राजनीतिक विश्लेषक देव श्री त्रिवेदी ने बाम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस गनेरीवाला को 150 कंडोम भेजकर उनके फैसले पर विरोध जताया है। दरहसल कुछ हफ्ते पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस गनेरीवाला ने एक उत्पीडि़न मामले पर फैसला सुनाया था। जिसे पूरे देश में बवाल मचा हुआ है।
बाम्बे हाईकोर्ट द्वारा सुनाया गया फैसला-
बाम्बे हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले में जस्टिस गनेरीवाला ने कहा था कि स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट बिना की गयी छेडछाड़ को POCSO अधिनियम के तहत सेक्सुअल असाल्ट नहीं माना जाएगा। बल्कि ये भारतीय दंड सहिंता की धारा 354 के तहत सामान्य अपराध की श्रेणी में आएगा। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कोर्ट ने इस स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट बिना की गयी छेड़छाड़ को अपराध तो माना है लेकिन उसे सेक्सुअल असाल्ट नही माना है।
जस्टिस गनेरीवाला ने एक व्यक्ति को POCSO अधिनियम के तहत बरी कर दिया जिसने एक 12 साल की बच्ची को अमरूद देने के बहाने घर पर बुला कर उसके साथ साथ छेड़छाड़ की थी। बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न होने से पहले बच्ची की मा ने उसे बचा लिया था। इस मामले को हाई कोर्ट ने सेक्सुअल असाल्ट न मानते हुए एक आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध माना है। यह धारा महिलाओं के साथ खिडवाड़ करने के आरोपो के तहत बनाई गई है।
कौन हैं बाम्बे हाईकोर्ट की जज को 150 कंडोम भेजने वाली महिला
जस्टिस बी गनेरीवाला को कंडोम भेजने वाली महिला गुजरात की देवश्री त्रिवेदी है जो एक राजनीतिक विश्लेषक हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने 12 अलग-अलग स्थानों पर कंडोम भेजे हैं, जिसमें जस्टिस गनेरीवाला का चैंबर, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की रजिस्ट्री और मुंबई की प्रमुख सीट शामिल हैं।
देवश्री त्रिवेदी ने बताया कि “मैं अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक नाबालिग लड़की को गनेरीवाला के एक फैसले के कारण न्याय नहीं मिला। मैं मांग कर रही हूं कि जस्टिस गनेरीवाला को निलंबिद कर दिया जाए।”