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भारत में आजादी के बाद पहली बार किसी महिला को दी जा रही है फांसी जानिए क्‍या है गुनाह-

उत्‍तरप्रदेश जेल प्रशासन ने मथुरा जेल में एक महिला को फांसी पर लटकाने की तैयारी शुरू कर दी है। आजादी के बाद फांसी पर लटकने जा रही इस पहली महिला का नाम शबनम है। मथुरा जेल में 150 साल पहले एक महिला फांसी घर बनाया गया था, लेकिन आजादी के बाद से यहां किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई है।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, फांसी की तारीख अभी तय नहीं की गई है। लेकिन जेल प्रशासन ने फांसी की तैयारी शुरू कर दी है और रस्सी लगाने का आदेश भी दे दिया गया है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम और उनके आशिक सलीम को फांसी दे दी जाएगी।

आइए जानते हैं क्‍यों इस महिला का फांसी की सजा दी जा रही है।  

शबनम का गुनाह  

मथुरा जेल के बंद शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अप्रैल 2008 में कुल्हाड़ी से अपने ही परिवार के 7 सदस्यों को मार दिया था।

अमरोहा के हसनपुर शहर के बावनखेड़ी गाँव के लोग, आज भी 14-15 अप्रैल, 2008 की रात को हुई भीषण घटना को याद करते हैं। इन दिन शबनम,अपने प्रेमी सलीम के साथ, अपने पिता शौकत, मां हाशमी, भाइयों अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और उसकी बहन राबिया को कुल्हाड़ी से मार डाला था।

शबनम ने अपने भतीजे अर्श का भी गला दबाकर हत्या कर दी थी। शबनम ने इन सभी परिवार बालों को इसलिए मारा था क्‍योंकि वे उसे सलीम के साथ सबंध बनाने से रोक रहे थे।

मामले की सुनवाई अमरोहा की अदालत में दो साल और तीन महीने तक चली थी। जिसके बाद, 15 जुलाई 2010 को, जिला न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने फैसला सुनाया कि शबनम और सलीम को मृत्यु तक फांसी दी जानी चाहिए।

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