विजय माल्या से लेकर पीएनबी घोटाले तक, भारत 9 से भी ज्यादा सबसे बड़े वित्तीय घोटाले हो चुके हैं। जिन्होंने देश को उसके मूल से हिला दिया। जाहिर सी बात है अगर ये घोटाले दुनिया के किसी भी देश में हुए होते तो कोई भी देश वित्तीय संकट से गुजरता और यही हुआ भारत के साथ आज भारत के ऊपर वित्तीय संकट की वजह कहीं न कहीं घोटालों के वजह से ही है।
भारत के 9 सबसे बड़े वित्तीय घोटाले-
- विजय माल्या – 9000 करोड़ रु
एक समय था जब लोग विजय माल्या को अच्छे समय का राजा कहते थे, इसके पीछे की उनके अमीरी के शौंक थे। विजय देश के उन लोगों में शामिल था जो पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और यही वजह रही कि विजय माल्या देश में 9000 करोड़ रूपये का स्कैम करने में सफल रहा।
इंडिया की सभी बैंको का विजय माल्या पर 9000 करोड़ से भी ज्यादा बकाया है जिन्हें चुकाने में वह असफल है और आज देश में आने पर प्रतिबंधित है। विजय माल्या को हाल ही में भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत एक भगोड़ा घोषित किया गया है।
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- कोलगेट घोटाला – 1.86 लाख करोड़ रु
कोयला आवंटन घोटाला जिसे कोलगेट राजनीतिक घोटाले के नाम से जाना जाता है 2012 में सामने आया था जब यूपीए सरकार सत्ता में थी। इस घोटाले को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा संज्ञान में लाया गया था, जब उन्होंने 2004 और 2009 के बीच 194 कोयला ब्लॉक को अवैध रूप से आवंटित करने का सरकार पर आरोप लगाया था।
यह उन घोटालों में से एक था जिसने पूरे देश के कई नौकरशाहों से हटाने पर मजबूर कर दिया था। इसमें बड़े राजनेता शामिल थे।
- 2 जी स्कैम – 1,76,000 करोड़ रु
1.76 लाख करोड़ कि इस घोटाले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस मामले की जांच 2008 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने की थी …यह आरोप इस तथ्य से संबंधित है कि दूरसंचार मंत्री ए राजा, जिन्होंने मई 2007 में पदभार ग्रहण करने के बाद, नीति शासन और ट्राई की सिफारिशों में हेरफेर किया और फेक लाइंसेंस की मदद से इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले में कई बड़ी कंपनिया शामिल थी।
- नीरव मोदी पीएनबी बैंक धोखाधड़ी – 11,400 करोड़ रु
सबसे विवादास्पद घोटालों में से एक, यह धोखाधड़ी कथित तौर पर पंजाब नेशनल बैंक के ब्रैडी हाउस ब्रांड के माध्यम से हुई थी। सिर्फ नीरव मोदी ही नहीं, उनके चाचा मेहुल चोकसी और PNB के दो वरिष्ठ अधिकारी भी इस धोखाधड़ी में शामिल थे। 2018 में, PNB ने CBI पर नीरव मोदी और उन कंपनियों पर आरोप लगाते हुए केस दायर किया, जो पीएनबी से लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) प्राप्त करने से जुड़ी थीं, जिन्होंने ऋण के खिलाफ मार्जिन राशि का भुगतान नहीं किया था। इसका मतलब यह था कि अगर वे कंपनियां ऋण का भुगतान करने में विफल रहीं, तो पीएनबी को राशि का भुगतान करना होगा।
- सत्यम घोटाला – 14,000 करोड़ रु
2009 के इस कॉरपोरेट घोटाले को ‘भारत का एनरॉन स्कैंडल’ भी कहा जाता है और यह बी रामलिंग राजू और उनकी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के इर्द-गिर्द घूमता है। कंपनी ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने बोर्ड के सामने 14,000 करोड़ रुपये के अपने खातों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, उनमें हेरफेर किया था।
- हवाला घोटाला – $ 18 मिलियन
1990 के दशक में हवाला कांड लोगों के ध्यान में आया, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, अर्जुन सिंह, यशवंत सिन्हा और मदन लाल खुराना जैसे राजनेताओं पर भी प्रकाश डाला गया था और कहा गया था कि यह लोग भी रिश्वतखोरी में शामिल थे। यह घोटाला हवाला भाइयों के इर्द-गिर्द घूमता था, जिन्हें जैन भाइयों के रूप में भी जाना जाता है, जो आतंकवादियों के खिलाफ छापे से जुड़े थे। यह पाया गया कि कथित काले धन का भुगतान इन राजनेताओं द्वारा भाइयों के माध्यम से किया गया था।
- हर्षत मेहता स्कैम – 5000 करोड़
1992 में सामने आए इस स्कैम से सभी भलिभांति परिचित हैं, मुंबई के जाने माने स्टॉक मार्केटेर हर्षत शांति लाला मेहता के द्वारा किया गया यह स्कैम स्टॉक मार्केट अब तक का सबसे बड़ा स्कैम माना जाता है, फैक बीआर के द्वारा इस स्कैम में कई बैंके भी शामिल थी। 5000 करोड़ के इस स्कैम के आरोप में हर्षत मेहता को जेल हुई थी जिनकी 2001 में मृत्यु हो गई।
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- कॉमन वैल्थ स्कैम – 70,000 करोड़ रु
2010 में, भारत में कॉमन वैल्थ गेम्स के स्कैम ने विवादों और भ्रष्टाचार के लिए और अधिक सुर्खियां बटोरीं, जो कि खेलों से ही अधिक था। पूरी घटना को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों की थी और कॉमन वेल्थ गेम्स 2010 के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी पर भ्रष्टाचार और दुर्भावना के आरोप लगाए गए थे। यह भी बताया गया कि भारतीय एथलीटों को अधिकारियों द्वारा उन्हें आवंटित आवास के बजाय भयानक परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया गया था।
- अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला – 3600 करोड़ रु
भारत में कुख्यात रक्षा घोटालों में से एक, यह मामला यूपीए सरकार और अगस्ता वेस्टलैंड के बीच 12 हेलीकॉप्टरों के अधिग्रहण के लिए 2010 के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का है जो भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री द्वारा उपयोग किए जाने वाले और अन्य वीवीआईपी कर्तव्यों का पालन करने वाले थे। यह सौदा 3600 करोड़ रुपये का था और यह आरोप लगाया गया था कि कई बिचौलियों में कुछ राजनेता और रक्षा अधिकारी शामिल हैं जिन्हें अगस्ता वेस्टलैंड की मदद के लिए सौदे को मोड़ने के लिए रिश्वत मिली थी।
यह भारत में अब तक हुए 9 जाने माने स्कैम थे, जो सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे और इनकी वजह से भारत को कई बाद वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।