वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) जिसे कीटकम्पोस्ट या केंचुआ खाद भी कहा जाता है, यह एक प्राकृतिक कम्पोस्टिंग प्रक्रिया है जिसमें कीटों का सहायता से कचरा को उर्वरित और पोषक मिट्टी बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में, कीटकों के साथ-साथ कीटकों के जीवनचक्र में आने वाले जीवों का उपयोग किया जाता है, जो कीटों को खाने और कम्पोस्ट को तैयार करने में मदद करते हैं।
कीटकों के लिए किशमिश कीटों का उपयोग किया जाता है, जो ऑर्गेनिक मिट्टी को उर्वरित करने के लिए मिट्टी और कचरे का सेवन करते हैं। वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए कचरा, खाद्य अपशिष्ट, और पेड़-पौधों के कटे हुए हिस्से का उपयोग किया जाता है। यह एक सस्ता और प्राकृतिक खाद होता है, और खेतों, उपवनों, और बगीचों के लिए अच्छा पोषण प्रदान करता है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए आपको कांटों वाले बिनों में कीटों को रखना होता है और उनकी सहायता से कम्पोस्ट तैयार करना होता है। इससे आप अपने कचरे को पुनः उपयोगी और फसलों के लिए पोषक माटी बना सकते हैं, और भूमि की स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए आवश्यक तत्व
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) (केंचुआ खाद्य या जैविक खाद्य) बनाना बेहद ही आसान प्रक्रिया है इसको बनाने के लिए हमें कई पदार्थ एवं तत्वों जैसे कि सब्जियों के छिलके, फलों के छिलके, और अनाज के पराली और अवशेष जैसे मूत्र, गोबर, कूड़ा-कचरा, अनाज के भुसी, राख, अनाज के टुकड़े और गोबर की आवश्यकता होती है जो हमारे फसल के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
इसके आलावा वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत केंचुओं यानि की होती है जिससे यह जैविक पदार्थो को खाकर मल द्वारा वर्मीकम्पोस्ट निकालता है। इन जैविक पदार्थ के लिए सूखा हुआ कार्बनिक पदार्थ, सूखी हरी घास, खेत से निकला कचरा, घर से निकला कचरा और गोबर का इस्तेमाल करते है। इसके आलावा इसके लिए आवश्यक मात्रा में पानी और वातावरण का भी विशेष ध्यान रखना होता है।
पानी का इस्तेमाल वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खाद तैयार करते समय जैविक पदार्थो में नमी बनाए रखने के लिए किया जाता है और वातावरण का इसमें वर्मीबेड को धूप से बचाकर छायादार जगह पर रखना होता है, क्योकि तेज़ धूप में केंचुए एवं जीवाणु मर जाते है। इन सब चीजों के अलावा ये भी ध्यान रहे की वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए इनमे से पत्थर, कांच और पॉलीथिन को निकाल दिया जाये।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने की प्रक्रिया
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए सबसे पहले एक उचित जगह की आवश्यकता होती है जिसमे खाद बनाने प्रकिया की जा सके। वर्मीकम्पोस्ट कई विधियों से बनाया जा सकता है जैसे टैंक, गड्डे, रिंग और खुले में ढेर लगाकर। इनमें से वर्मी टैंक विधि सबसे श्रेष्ठ है क्योकिं उसमे केंचुओ और सूक्ष्मजीवों के लिए उत्तम वातावरण मिलता है और पादप पोषक तत्वों का हास नहीं होता है। वर्मीकम्पोस्ट बनाने की ये विधि इस प्रकार है :-
- वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए सबसे पहले प्लास्टिक टैंक या कंक्रीट टैंक की आवश्यकता होती है जिसमे खाद तैयार करना होता है। टैंक का आकार कच्चे माल की मात्रा पर निर्भर करता हैं।
- इसके बाद बायोमास को इक्ट्ठा कर इसे लगभग 8 से 12 दिनों के लिए धूप में रखें। अब इसे कटर की मदद से मनचाहे आकार में काट लें।
- फिर गाय के गोबर का घोल तैयार करें और जल्दी सड़ने के लिए इसे ढेर पर छिड़क दें।
- वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए टैंक के तल पर मिट्टी या रेत की एक 2 से 3 इंच की परत डालें।
- इसके बाद गाय के गोबर, सूखे पत्ते और खेतों और रसोई से इक्ट्ठा किए गए अन्य बायोडिग्रेडेबल कचरे को आपस में मिलाकर बारीक कर लें। फिर उसे समान रूप से उस रेत या मिट्टी की परत पर फैला दे।
- इन सभी आपस में मिले हुए सभी जैव-अपशिष्ट के मिश्रण के ऊपर केंचुओ को छोड़ दें और खाद मिश्रण को सूखे पुआल या बोरियों से अच्छी तरह ढक दें।
- खाद में नमी की मात्रा को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से पानी का छिड़काव करते रहे।
- खाद में मौजूद केचुए एवं जीवाणुओं को हास से बचने के लिए उसे चींटियों, छिपकलियों, चूहे, सांपों आदि के प्रवेश से सुरक्षित रखे इसके लिए टैंक की छत को अच्छे से ढक दें और खाद को बारिश के पानी और सीधी धूप से बचाएं।
- को ज़्यादा गरम होने से बचाने के लिए बार-बार जाँच करें। कंपोस्ट में उचित नमी और तापमान बनाए रखें ताकि वह ज्यादा गरम ना हों और नमी भी बरकरार रहे।
- एक समय के बाद गड्ढे में पानी की आपूर्ति बंद कर दी जानी चाहिए जिससे कीड़े अधिक पानी और नमी के कारण मर न जाए।
इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 1 से 2 महीनो के उपरांत एक अच्छी वर्मीकम्पोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाएगी।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) या केंचुआ खाद इस्तेमाल करने के फायदे
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) से होने वाले फायदों की बात की जाये तो ये कई तरह से हमारे लिए एवं प्रकृति के लिए बफयदेमन्द है। ये खाद मिट्टी और फसलों के लिए सभी तरह से फायदेमंद साबित हुई है। वही खेत में इस्तेमाल करने पर इसके कई लाभ मिलते हैं।
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वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) के फायदे एवं लाभ
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
- इसके उपयोग से खेत की मिट्टी का तापमान सामान्य रहता है।
- इसके इस्तेमाल से मिट्टी की जल धारण की क्षमता बढ़टी है जिससे खेतो में नमी अधिक दिनों तक बनी रहती है।
- वर्मी कम्पोस्ट बनाने में अपशिष्ट पदार्थों के प्रयोग से आसपास के परिवेश में प्रदूषण नहीं फैलता है।
- खेतों में इसके प्रयोग से मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
- वर्मीकम्पोस्ट खाद के इस्तेमाल से मिट्टी प्रदूषित नहीं होती है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost)की वजह से उत्पादकता में बढ़ोतरी हो जाती है।
- इसके इस्तेमाल से प्रकृति को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
- वर्मीकम्पोस्ट के इस्तेमाल से किसानों को अधिक सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
- वर्मीकम्पोस्ट भूमि के गिरते जल स्तर को रोकने में काफी मददगार साबित हुआ है।
- वर्मीकम्पोस्ट के इस्तेमाल से वायु और भूमि दोनों ही प्रदूषण में कमी आती है।
- वर्मीकम्पोस्ट इस्तेमाल करने से किसानों को कृषि लागत में कमी आती है।
- इसके इस्तेमाल से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करने से किसानों को किसी भी प्रकार से कोई हानि नहीं होती है।
- वर्मी कंपोस्ट के इस्तेमाल से रासायनिक उर्वरकों से निर्भरता में कमी आती है.
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