Bio Decomposer एक राष्ट्रीय जैविक केन्द्र का महत्वपूर्ण आविष्कार है जिसके पुरे देश में सफल परिणाम निकले।इसका प्रयोग जैविक कचरे को खाद में बनाने के लिए किया जाता है जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए बड़े पैमाने में केंचुए पैदा होते हैं। बायो डी-कंपोजर का अविष्कार खेतों में पराली को प्राकृतिक तरीके से गलाने के उद्देश्य से किया गया है जिससे पराली को जलाने से रोका जा सके।
क्या है Bio Decomposer
Bio Decomposer सात प्रकार के कवक या फफूंद का मिश्रण है जिसे देशी गाय के गोबर से सूक्ष्म जैविक जिवाणु निकाल कर बनाया गया है। ये मिश्रण पराली या धान के भूसे में सेल्यूलोज, लिग्निन और पेक्टिन को पचाने के लिए एंजाइम का उत्पादन करता है। बायो डी-कंपोजर में कवक या फफूंद को पनपने के लिए 30-32 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है जो कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के समय अच्छा रहता है।
कैसे बनता है Bio Decomposer
Bio Decomposer बनाने के लिए सबसे पहले एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेना होगा। फिर इसमें दो किलो गुड़ और चने के आटे को डालना होगा। ये घोल तैयार होने के बाद इसमें एक शीशी बायो डी-कंपोजर की मिलाएं। उसके बाद इस ड्रम को ढककर रख दें। ड्रम में भरे पानी को 5-7 दिन तक दिन में 2 से 3 बार लकड़ी के एक ढ़ंडे की सहायता से आपस में मिला लेंगे। 5 से 7 दिन में बायो डी-कंपोजर बनकर तैयार हो जाएगा।
पराली गलने की प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 20 दिन लगते हैं। तैयार इस 200 लीटर तैयार बायो डी-कंपोजर से दोबारा घोल तैयार करने के लिए इसमें से 20 लीटर लेकर 2 किलो गुड़ और चने का आटा 200 लिटर पानी के साथ एक ड्रम में लेकर दोबारा घोल बना सकते हैं। इस घोल से किसान बड़े पैमाने पर बार-बार घोल जीवन भर बना सकते हैं।
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Bio Decomposer के फायदे
- Bio Decomposer से बीजों का उपचार किया जा सकता हैं
- बायो डी-कंपोजर से बीजों का उपचार करने पर बीजों का 98 प्रतिशत मामलों में शीघ्र और एक सामान अंकुरण होता है।
- जैविक खाद व जैविक कीटनाशक बनाने में बायो डी-कंपोजर से काफी सहायता प्राप्त होती है।
- जमीन का कार्बन लेवल बढ़ाने में बायो डी-कंपोजर बहुत उपयोगी है ।
- बायो डी-कंपोजर के उपयोग से आपको बायो फर्टिलाइजर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
- बायो डी-कंपोजर के प्रयोग से जमीन के लिए लाभदायक जीवाणुओ की संख्या बढ़ जाती है |
- बायो डी-कंपोजर के प्रयोग से जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ती है ।
- बायो डी-कंपोजर के प्रयोग से मित्र कीट जैसे कि केंचुआ इत्यादि पुण: जमीन में आ जाते है ।
- फसलों की बढ़वार व कीट नियंत्रण में भी बायो डी-कंपोजर बहुत सहायक है |
- बायो डी-कंपोजर का प्रयोग रसायनिक उर्वरकों के विकल्प की तुलना में ज्यादा बेहतर है।
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