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विदिशा हादसा : स्थानीय लोगों का आरोप लापरवाही से हुई 11 लोगों की जलसमाधि

ठहर जाओ वहां भीड़ बहुत है,
तुम गरीब हो कुचल दिए जाओगे।

गुरुवार शाम विदिशा की गंजबासौदा तहसील में हुआ हादसा इन दो पंक्तियों को चरितार्थ करता हुआ दिख रहा है। देश को आजाद हुए 74 साल से ज्यादा हो गए हैं। इस दौरान केंद्र और राज्य में कई सरकारें आई गईं, लेकिन गरीबों की किस्मत में आज भी हादसे और मौत ही लिखे हुए हैं। इस हादसे में भी कुछ इसी तरह की तस्वीर सामने आ रही है।

स्थानीय लोगों में घटना के बाद प्रशासन को लेकर इतना रोष था कि पुलिस को आसपास के 1 वर्ग किमी इलाके को सील करना पड़ा। सीएम तो घटना स्थल तक न जा सके। पुलिस और परिवहन मंत्री को देख लोगों का रोष सातवें आसमान पर पहुंच गया। हालांकि प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग पूरा समय रेस्क्यू स्थल पर रहे। देर रात तक मृतकों को 5-5 लाख की आर्थिक सहायता के चेक और गंभीर घायलों को 50-50 हजार की सहायता राशि दे दी गई थी।

कुंए की सुरक्षा और मरम्मत को लेकर नहीं हुआ काम : 
शासन प्रशासन भले ही इंकार करें, लेकिन पूरे मामले में प्रशासन और पुलिस की लापरवाही से इंकार नहीं किया जा सकता है। जानकारी में सामने आया है कि लाल पठार का यह कुंआ पिछले 12 सालों से लोगों की प्यास बुझा रहा था। आसपास के क्षेत्र में इस कुंए के अलावा पीने के पानी का कोई स्रोत नहीं है। यह अकेला कुंआ लगभग 7 हजार की आबादी का सहारा था।


आसपास न तो कोई तालाब है और न ही कोई ट्यूृबवेल और न हैंड पंप। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि 1 दशक से भी ज्यादा समय में शिवराज सरकार और कमलनाथ सरकार ने इस कुंए की सुरक्षा या किसी अन्य पानी के स्रोत के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया?

ऐसी घटना फिर न हो इसकी कोई ग्यारंटी नहीं : 
बासौदा के लाल पठार क्षेत्र में स्थित भैरो बाबा कुंए से प्रशासन ने भले ही 24 घंटे बाद सभी घायलों को निकाल कर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवा दिया हो। सभी मृतकों को निकालकर रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करने का दावा कर दिया हो, लेकिन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है। 


गुरुवार को एक बालक रवि कुंए से पानी निकालते हुए उसमें गिर गया था। इस दौरान 31 लोग मलबे सहित कुंए में गिर गए। शुक्रवार शाम एसडीआरएफ की टीम ने कुंए से 11 लोगों के शवों को बाहर निकाला है। सबसे अंत में रवि का शव निकाला गया। रवि का शव सबसे नीचे दब गया था। घटना में घायल 20 लोगों का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

दो भागों में बंट गए थे कुछ लोगों के शव : 
रेस्क्यू कर रही एसडीआरएफ की टीम ने मौके से जब लोगों के शव निकालने शुरू किए तो कुछ लोगों के शव दो भागों में बंट गए थे। नारायण सिंह कुशवाहा और गोविंद कुशवाहा के शवाें को दो हिस्सों में बाहर निकाला गया। यहां रहने वाले शुभम वाल्मीकि (20) और उनके पिता सुनील वाल्मीकि का शव जैसे ही बाहर आया तो परिवार वालों ने चीख पुकार मचा दी।


दोनों पिता पुत्र का अंतिम संस्कार एक साथ कर दिया गया। हादसे में मारे गए विक्की नाथ के पिता शिव नारायण नाथ की मौत भी 15 साल पहले यही मुरम की खदान धसने से हुई थी। एक बार फिर वहीं मंजर देख घर वालों के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।

आम लोगों के मन में उठ रहे हैं कुछ सवाल : 

आसपास के इलाके में पानी की व्यवस्था न होने के कारण लोग पानी के लिए इस कुंए पर ही निर्भर थे। पानी के किसी अन्य स्रोत की व्यवस्था क्यों नहीं करवाई गई थी? कुंआ कमजोर होने के बाद इसकी मरम्मत क्याें नहीं करवाई गई थी? घटना स्थल पर इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं तो यहां सुरक्षा व्यवस्था क्याें उपलब्ध नहीं करवाई गई थी?


हादसे को लेकर पुलिस प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। यदि पुलिस वाले पहले ही सक्रिय हो जाते तो शायद इतने बड़े हादसे को टाला जा सकता था। पुलिस टीमें सक्रिय क्यों नहीं हुईं, इसे लेकर भी लोगों के जेहन में सवाल उठ रहे हैं।

पूर्व सीएम ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना :



 

घटना को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जमकर निशाना साधा है। पूर्व सीएम ने ट्विटर के माध्यम से कहा है कि गंजबासौदा कांड में गंभीर लापरवाही सामने आई है। शिकायत मिलने पर पुलिस-प्रशासन तुरंत सक्रिय हो जाता तो हादसा टल जाता। जांच में इन पहलुओं को शामिल किया जाए। राज्य सरकार प्रत्येक मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और 15 लाख रु. मुआवजा दे। घायलों को 2 लाख रु. मुआवजा दिया जाए।

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