इंटरनेट पर अश्लील सामग्री देखने वालों पर उत्तर प्रदेश सरकार नजर बनाने की तैयारी कर चुकी है, इतना ही नहीं यूपी पुलिस ने एक कंपनी “ओउमुफ़” को काम पर रखा है जो इंटरनेट पर पोर्न मूवी देखने वालों पर नजर रखेगी और उन पर कानूनी कार्यवाही करेगी।
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को काबू में करने के लिए यूपी सरकार द्वारा ‘यूपी वूमेन पॉवरलाइन 1090’ की स्थापना की गई है जो किसी भी व्यक्ति द्वारा इंटरनेट पर पोर्न या अश्लील सामग्री की देखने पर उसे सतर्क करेगी।
लेकिन यूपी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर रहा है। जैसे क्या सच में पोर्न देखने से महिलाएं असुरक्षित हैं ? या फिर क्या पोर्न देखना एक क्राइम है ? आइए नजर डालते हैं इस पर वैज्ञानिक तथ्य क्या कहते हैं।
क्या पोर्न देखने से बड़ते हैं महिलाओं पर अत्याचार के मामलें-
राज्य में बढ़ते बलात्कार और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामलों को रोकने के लिए उत्तरप्रदेश ने ये कदम उठाया है। लेकिन (क्रोएशिया, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, हांगकांग, जर्मनी, शंघाई, संयुक्त राज्य अमेरिका और स्वीडन) जैसे देशों में महिलाएं बाकी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं और इन सभी देशों में पोर्न देखना सरकारी रूप से लीगल है।
दुनिया के इन विकसित देशों के आंकड़ो से पता चलता है कि कि पोर्न को वैध बनाने से बलात्कार या महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में कोई वृद्धि नहीं होती है।
महिलाएं भी देखती हैं पोर्न-
पोर्न वीडियो के मामलें में दुनिया की सबसे ज्यादा प्रचलित वेबसाइट पोर्नहब के 2017 की रिपोट के अनुसार भारत पूरे विश्व में 4 चौथे नम्बर पर आता है जहां महिलाएं सबसे ज्यादा पोर्न वीडियो देखती हैं। इन रिपोर्ट में कि माने तो कनाडा, यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों की तुलना में भारत में अधिक महिलाएं पोर्न देखती हैं।
कैसे कम हो सकते हैं महिलाओं पर अत्याचार के मामलें-
हां यह मान सकते हैं कि भारत में कुछ ऐसे बतात्कार मामले सामने आए हैं जिनमें आरोपी की मानसिकता पोर्न देखने से प्रभावति हुई हो और इसमें पोर्न वेबसाइट को भी दोषी ठहराया गया है लेकिन सेक्स ऐजुकेशन एक ऐसा मुद्दा है जिसका भारत हमेशा से सामना करता आया है, दुनिया के उन देशों में सेक्स ऐजुकेशन का रेसियो बहुत ऊपर है जहां महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार के मामले सामने नहीं आते या बहुत कम आते हैं।
सेक्स ऐजुकेशन सेक्स के बारे में बात करने से कई अधिक है। इसमें प्रजनन स्वास्थ्य, यौन संचारित रोग, गर्भ निरोधकों, सेक्स सहमति, नॉर्मल सेक्स, असहमति सेक्स, लिंग पहचान, लिंग समानता आदि शामिल है। ये सभी यौन अपराध को कम करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय हैं।
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