कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन मानो प्रवासी मजदूरों के लिए काल बन कर आया है। एक के बाद एक दुर्भाग्य पूर्ण घटना रोज सामने आ रही है। वही एक और घटना की बात करें तो उत्तर प्रदेश के औरैया में एक ट्रक से टकरा जाने के कारण चौबीस प्रवासी मजदूर मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। मजदूर राजस्थान से आ रहे थे। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि सभी घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने अपनी जान गंवाने वाले मजदूरों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना भी व्यक्त की।
परे घटनाक्रम की बात करें तो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में एक तेज रफ्तार मिनी ट्रक की चपेट में आने से कम से कम 24 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई और 36 अन्य घायल हो गए।
मिनी ट्रक 18 प्रवासियों को ले जा रहा था और दुर्घटना होने पर ट्रक में लगभग 42 अन्य लोग थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घायल प्रवासी श्रमिकों में से 20 को गंभीर हालत में पीजीआई सैफई ले जाया गया है, जबकि 16 अन्य का औरैया के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया, उन्होंने अधिकारियों को घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए और दुर्घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए।
जनपद औरैया में सड़क दुर्घटना में प्रवासी कामगारों/श्रमिकों की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुःखद है, मेरी संवेदनाएं मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं।
पीड़ितों को हर संभव राहत प्रदान करने,घायलों का समुचित उपचार कराने व दुर्घटना की त्वरित जांच करवाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 16, 2020
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया-
उत्तर प्रदेश के औरैया में सड़क दुर्घटना बेहद ही दुखद है। सरकार राहत कार्य में तत्परता से जुटी है। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं, साथ ही घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) May 16, 2020
मार्च के अंत से कोरोनावायरस रोग (कोविद -19) के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के कारण बंद होने के बाद बड़े शहरों से दसियों हजार लोग घर जा रहे हैं।
24 मार्च को तालाबंदी की घोषणा के बाद भारत में शहरों और कस्बों में लाखों श्रमिक बिना काम के रह गए थे, जिसके परिणामस्वरूप श्रमिकों की पहली लहर अपने गाँवों में वापस जा रही थी।