कोरोना से मरने वालों के आकडों पर हमेशा चर्चा की जाती है लेनिक बहुत कम बार होता है जब कोरोना से जिंदा बचे किसी व्यक्ति की चर्चा हो। लेकिन आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं, भरत पांचल से जो कोरोना, ब्लैक फंगस, और ऑर्गन फेल होने के बाद भी जीवित है।
ये जंग भरत पांचल ने 85 दिन में जीति हालांकि उनके बचने की उम्मीद बहुत कम लोगों को थी। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 54 वर्षीय भरत पांचाल लगभग तीन महीने के बाद अस्पताल से बाहर आए।
कोरोना वैक्सीन लगने के बाद हुए बीमार
आठ अप्रैल को, पांचाल को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक मिलने के लगभग दो सप्ताह बाद बुखार होने लगा। चार दिनों के भीतर, उन्हें फेफड़ों की गंभीर जटिलताएं हो गईं और एक सप्ताह के भीतर उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेशन सपोर्ट पर रखना पड़ा।
कोविड -19 संक्रमण की गंभीरता को निर्धारित करने वाला सीटी मान 25 से 21 तक पहुंच गया था। इसके बाद शरीर के अन्य अंगों में और जटिलताएं विकसित होने लगीं। जैसे-जैसे उनकी स्थिति बिगड़ती गई, उन्होंने कोविड -19 रोगियों में देखी जाने वाली किडनी और लीवर की गंभीर समस्या, सेप्सिस, मल्टीऑर्गन फेल्योर, फेफड़े का टूटना और यहां तक कि ब्लैक फंगस भी जूझना भी शुरू कर दिया।
पांचाल करे 70 दिनों तक वेंटिलेशन सपोर्ट पर रखा गया। हीरानंदानी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि पांचाल में समस्या देखी गई थे जो एक कोरोना रोगी में हो सकती है। अस्पताल ने पिछले 15 महीनों में इतने लंबे समय तक अस्पताल में रहने वाला व्यक्ति नहीं देखा।
इस बीच, पांचाल के परिवार ने एक समान कठिन लड़ाई लड़ी, जबकि वह अस्पताल में जीवित रहने के लिए संघर्ष करता रहे, अंत में जब पांचाल के फेफड़ों से खून बहने लगा तो परिवार ने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि वह जिंदा रहेगें। लेकिन इस सबको हराते हुए भरत पांचल ने वापसी की और अब वे स्वस्थ् होके आराम कर रहे हैं।
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