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वैशाख अमावस्या पर पितृ दोष के सरल उपाय, सभी दुखों से छुटकारा प्राप्ति का मिलेगा आशिर्वाद

Vaishakh Amavasya

Vaishakh Amavasya: हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले अमावस्या तिथि पड़ती है। इस प्रकार वैशाख माह में अमावस्या 20 अप्रैल को है। सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप, तप और दान का विधान है।

धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही पितृ प्रसन्न होकर अपने परिवार को सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या तिथि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

Vaishakh Amavasya

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इसके पश्चात, पूजा, जप, तप और दान करते हैं। Vaishakh Amavasya के दिन विशेष उपाय भी करने का विधान है। अगर आप अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से परेशान हैं, तो Vaishakh Amavasya के दिन ये खास उपाय जरूर करें।

पितृ दोष उपाय का समय

इस बार अमावस्या पर सूर्य ग्रहण है, इस वजह से आप पितृ दोष के उपाय ग्रहण के प्रारंभ या समाप्ति के बाद कर सकते हैं।

Vaishakh Amavasya: पितृ दोष उपाय

  • स्नान के बाद अपने हाथ में कुश की पवित्री पहन लें या कुश लेकर हाथ से जल से तर्पण दें। ​अपने पितरों को जल से तृप्त करें। पितृ लोक में पानी की कमी होती है, इसलिए जल से उनकी आत्माओं को तृप्त करते हैं।
  • Vaishakh Amavasya पर पितरों के देवता अर्यमा की पूजा करें। अर्यमा महर्षि कश्यप और देवमाता अदिति के पुत्र हैं। उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र में इनका निवास है। ये पितरों में श्रेष्ठ हैं। इनकी पूजा करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • Vaishakh Amavasya के दिन स्नान के बाद आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इसमें पितरों की स्तुति की गई है। उनका गुणगान किया गया है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
  • अमावस्या पर आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान या उनका श्राद्ध कर्म करा सकते हैं। इससे वे तृप्त होते हैं, जिससे संतान या वंश को सुखमय जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
  • अपने पितरों को तृप्त करने के लिए अमावस्या पर उनके पसंद का भोजन बनाकर कौआ, गाय, कुत्ता और अन्य पक्षियों को दे सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इनके माध्यम से भोजन पितरों को प्राप्त होता है। इससे वे खुश होते हैं।
  • अमावस्या पर आप पितरों की प्रिय वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्मण को करें। इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं।
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पितृ आशीर्वाद की प्राप्ति

पितर जब प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं कि वे आगे बढ़ें, उन्नति करें और उनका जीवन सुखमय हो। उनके आशीर्वाद से वंश की वृद्धि होती है। जब पितर नाराज होते हैं तो वे अपने वंश को श्राप देते हैं, जिससे पितृ दोष लगता है। पितृ दोष से तरक्की नहीं होती है, वंश आगे नहीं बढ़ता है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि Stackumbrella.In किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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