Top News

कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्व स्तर पर हुई भुखमरी का रेट जानकर हैरान हो जाऐगें आप

कोरोना महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया से नहीं छुपा है, समाज के प्रत्‍येक क्षेत्र में इस महामारी ने अपना कहर दिखाना चालू कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम में मंगलवार को कहा गया कि COVID-19 की वजह से आर्थिक गिरावट के कारण इस वर्ष तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगभग 26.5 करोड़ हो सकती है। इस महामारी से हुए प्रकोप के कारण इस वर्ष 13 करोड़ लोगो के विश्‍व स्‍तर पर भूख से मरने की आंशंका है।

यह भी जरूर पड़े- वर्ल्ड प्रेस के अनुसार भारत की रैंक शर्मनाम, विश्व स्तर पर भारतीय मीडिया का नाम हुआ खराब

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने मंगलवार को कहा कि सीओवीआईडी –19 की आर्थिक गिरावट के कारण इस वर्ष तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 265 मिलियन हो सकती है।

खो पर्यटन राजस्व, प्रेषण ,यात्रा और कोरोनावायरस महामारी से जुड़े अन्य प्रतिबंधों के प्रभाव से इस वर्ष लगभग 130 मिलियन लोगों को भूख से मरने की आशंका है, जो पहले से ही उस श्रेणी में लगभग 135 मिलियन है।

यह भी जरूर पड़े- पाकिस्तान के पीएम पर कोरोना का खतरा, संकट में पाकिस्तान पडिए पूरी खबर

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) में मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान, मूल्यांकन और निगरानी के निदेशक आरिफ हुसैन ने कहा, "सीओवीआईडी –19 संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए विनाशकारी है, जो पहले से ही एक आर्थिक तंगी से परेशान हैं।"

"तीव्र भोजन और आजीविका का संकट" पाँच यू.एन. चरणों की श्रेणी है जिसका अर्थ है "भोजन की पहुँच में गंभीर कमी और सामान्य कुपोषण से ऊपर"।

श्रेणी 5 का अर्थ है सामूहिक भुखमरी। अमेरिकी अधिकारियों ने बढ़ती जरूरतों को भौगोलिक रूप से टूटने नहीं दिया, लेकिन कहा कि अफ्रीका के सबसे कठिन हिट होने की संभावना थी।

यह भी जरूर पड़े- बहुत तेजी से फैल रहीं हैं समाज में यह गलत खबरें, सच जानकर हैरान हो जाऐगें आप

हुसैन ने कहा कि डब्ल्यूएफपी को इस वर्ष अपने सहायता कार्यक्रमों को निधि देने के लिए $ 10- $ 12 बिलियन की आवश्यकता है, पिछले साल रिकॉर्ड किए गए 8.3 बिलियन डॉलर के मुकाबले यह बढ़ती जरूरतों की प्रत्याशा में आने वाले महीनों में खाद्य भंडार को पूर्व स्थिति में लाने की योजना बना रहा है।

यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों को पहले से ही भूखा समझा जाता था, उनमें से कई सीरिया जैसे देशों में या जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बुरी तरह प्रभावित हैं।

यह भी जरूर पड़े- मुम्बई मीडियाकर्मी कोरोना संक्रमण घटना के बाद दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला
Share post: facebook twitter pinterest whatsapp