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रेमडेसिविर के बाद कोरोना की दवा फेबीफ्लू भी बाजार से गायब, आइवरमैक्टीन, लिमसी की भी शॉर्टेज, लोग परेशान प्रशासन मौन

भोपाल में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैसे वैसे दवाओं की किल्लत भी शुरू हो गई है। कुछ जगहों पर दवाओं की कालाबाजारी की भी खबरें सामने आ रही हैं। पिछले 8 दिनों से भोपाल में रेमडिसिविर इंजेक्शन की जबरदस्त किल्लत सामने आ रही है। जिसके बाद शासन को आगे आकर निगरानी में इस दवा के वितरण का काम शुरू करवाना पड़ा। लेकिन उसके बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं, लोग आज भी रेमडेसिविर के लिए भटक रहे हैं।

हमीदिया में स्टाफ ने ही बांट लिए थे 400 से ज्यादा इंजेक्शन : 
रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत बढ़ने के साथ बाजार में इसकी कालाबाजारी भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं हमीदिया अस्पताल में पेशेंट्स के लिए उपलब्ध कराए गए 863 इंजेक्शन में से 463 इंजेक्शन वहीं के स्टाफ ने आपस में बांट लिए पुलिस द्वारा मामले की छानबीन करने पर इंजेक्शन स्टोर में ही मिल गए हैं। बार कोड से मिलान करने पर पाया गया कि ज्यादातर वैक्सीन स्टोर में ही रखी हुई हैं। बाकी के इंजेक्शनों को अस्पताल के 6 लोगों ने ही आपस में मिलाकर बांट लिया है। 

इसके अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए एक युवक को मिसरोद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से पुलिस ने किए 3 इंजेक्शन जब्त कर मामले की कारवाई शुरू की है। आरोपी चिरायु अस्पताल के एक कर्मचारी से इंजेक्शन खरीद कर कालाबाजारी करता था। मामले में चिरायु अस्पताल का कर्मचारी धर्मेंद्र चक्रवर्ती फरार हो गया है। रासुका के तहत हो सकती है आरोपियों पर कार्रवाई। 

फेबिफ्लू भी बाजार से गायब, कोरोना के इलाज में कारगर है ये दवा :
रेमडेसिविर के अलावा भोपाल में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली सबसे प्रमुख दवा फेबिफ्लू भी गायब हो गई है। शहर की दवा दुकानों पर ये दवा ढूंढे नहीं मिल रही है। फेबिफ्लू भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स की एक दवा है, जो टेबलेट के रूप में उपलब्ध है। क्लिनिकल ट्रायल में इसके नतीजे बेहद प्रभावशाली रहे हैं। इसी कारण कोविड के इलाज के लिए डीजीसीआई ने इसे मंजूरी दी थी। ये दवा 200, 400 और 800 मिलीग्राम के डोज में आती है।


फेबिफ्लू पेशेंट की बॉडी में वायरस लोड कम करने का काम करती है। साथ ही इसके असर से वायरस लिए वायरस शरीर में अपनी कॉपी नहीं बना पाता है। हालांकि संक्रमण के शुरुआती स्टेज में ये दवा वायरस को शरीर में फैलने से रोकती है।

आइवरमैक्टीन और लिम्सी भी बाजार से गायब :
फेबिफलू के अलावा संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटी पैरासाइट टैबलेट आइवरमैक्टीन भी बाजार से गायब है। इसे संक्रमण के बाद तीन दिन तक लिया जाता है।


वहीं विटामिन सी की सबसे चर्चित दवा लिम्सी मुश्किल से मिल रही है। अधिकांश दुकानों में इस ब्रांड की शॉर्टेज है। इसके बदले बाजार में विटामिन सी की अन्य दवाएं बाजार में आ चुकी हैं। शरीर में जिंक की कमी को पूरा करने वाली जिंकोविट टेबलेट भी लंबे अरसे से बाजार से गायब है।

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