भोपाल के बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का एक वीडियो कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को एक युवक ने बनाया है, हालांकि उसका चेहरा वीडियो में नहीं देख पा रहे हैं। वीडियो बना रहा युवक हॉस्पिटल में अपने कोविड पीड़ित भाई के साथ पहुंचा हुआ है। इस वीडियो में युवक बता रहा है कि पूरा बीएमएचआरसी खाली पड़ा हुआ है।
रिसेप्शन पर न तो कोई रिसेप्शनिस्ट दिख रही है और न ही उसके कोविड पीड़ित भाई को हॉस्पिटल में एडमिशन दिया जा रहा है। हालांकि यदि सरकार चाहे तो भोपाल मेमोरियल को कोविड हॉस्पिटल बनाकर यहां सैकड़ों लोगों को अच्छा इलाज मुहैया करवा सकती है, लेकिन संक्रमण के बावजूद भी अस्पताल के उचित उपयोग को लेकर सरकार ने कोई पहल नहीं की है।
भाई का ऑक्सीजन लेवल डाउन होने के बाद भी डॉ. ने नहीं दी ऑक्सीजन:
वीडियो में पीड़ित युवक बता रहा है कि उसके भाई का ऑक्सीजन लेवल 77-78 तक गिर गया है। सीटी स्कैन में भी लंग्स में इन्फेक्शन की जानकारी आई है। फिर भी उसके भाई को हॉस्पिटल में एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। वीडियो में आगे इमरजेंसी वार्ड भी दिखाया गया है, जो पूरी तरह से खाली है। हालांकि फिर भी उसे एडमिशन नहीं दिया जा रहा है।
पीड़ित अपनी परेशानी बताते हुए कह रहा है कि उसके परिवार वाले पूरा भोपाल घूम चुके हैं। इसके बावजूद भी उसके भाई को डॉ. ऑक्सीजन देने तक को तैयार नहीं हैं। जबकि भाई का एसपीओ2 लेवल लगातार गिरता जा रहा है। वीडियो के आखिर में पीड़ित ने हॉस्पिटल के बाहर का भी नजारा दिखाया है, जिसमें पूरा अस्पताल और उसकी पार्किंग खाली दिखाई दे रही है।
इनाम बंटेगा तब हीरो बनेंगे नोडल ऑफिसर डॉ. ललित :
ये पहली बार नहीं है, जब भोपाल मेमोरियल में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले भी समय समय पर अस्पताल में लापरवाहियां और घोटाले उजागर होते रहे हैं। वर्तमान में हॉस्पिटल के नोडल ऑफिसर डॉक्टर ललित हैं। लेकिन अस्पताल सूत्रों की मानें तो उनका फोन कभी लगता ही नहीं है। ऑन पेपर कोविड ट्रीटमेंट में भी उनका नाम जाता है। जब साल भर कोरोना वॉरियर के तौर पर इनाम बांटा जाएगा, तो उनका नाम सबसे आगे कर दिया जाएगा।
वहीं इस मामले में हॉस्पिटल के दोनों पीआरओ भी किसी तरह की जानकारी नहीं दे सके। वहीं यहां के पेशेंट्स से बात करने पर ये बात भी सामने आई कि कोविड के अलावा इमरजेंसी में आने वाले अन्य मरीजों को भी अस्पताल में एडमिट नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति तब है जब देश आपातकाल में है और प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर एस्मा लागू किया हुआ है।