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Climate Change: मानसून से पहले मानसून की वजह? बिन मौसम बरसात ने उत्तर प्रदेश की फसलों को नुकसान पहुंचाया..

Climate Change

Climate Change: बारिश किसे पसंद नहीं होती, लेकिन बिन मौसम बरसात काफी खतरनाक होती है। बेमौसम की इस बरसात से तापमान में एक तरफ जहां गिरावट आई है, लोगों ने उमस और गर्मी से जहां राहत महसूस किया है, तो वहीं दूसरी तरफ यह बारिश किसानों के लिए मुसीबत का सबब भी बन कर आई है।

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बेमौसम बारिश (Climate Change) हो रही है और इस बेमौसम बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं। बारिश की वजह से फसलों को काफी नुकसान हुआ है।

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Credit: google

मार्च-अप्रैल से ही 59% जिलों में सामान्य बारिश का आरंभ

अप्रैल(April) के आखिरी दिनों में शुरू हुई बेमौसम बारिश (Climate Change) का सिलसिला मई में भी जारी है और कुछ इस तरह जारी है कि मानसून को भी पीछे छोड़ रहा है। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि अगले 5 दिनों तक 14 राज्यों में तेज बारिश हो सकती है। इसके अलावा 5 राज्यों में हल्की बारिश और 10 राज्यों में बादल छाए रहने की आशंका है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी का अलर्ट जारी हुआ है।

वहीं लोगों का सवाल यह है कि आखिर लू और गर्मी के महीने में बारिश और ठंड क्यों पड़ रही है? ये बेमौसम बारिश कितने दिन रहेगी? क्या इससे मानसून पर इम्पैक्ट पड़ेगा?

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मानसून के पहले ही ​बारिश होने का कारण क्या है?

मौसम वैज्ञानिक (Climate Change) इसके लिए दो वजहों को जिम्मेदार बताते हैं। इसमें एक लोकल वजह है और दूसरी क्लाइमेट चेंज। सबसे पहले लोकल परिस्थितियों की बात करेंगे-

मई में हो रही इस बेमौसम बारिश के लिए वेस्टर्न डिस्टरबेंस जिम्मेदार है। इस बार अप्रैल महीने में लगातार 5 वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए और अभी भी इनका आना जारी है। जो कि पिछले सालों के मुकाबले अधिक है।

मौसम वैज्ञानिक इसमें क्लाइमेंट चेंज (Climate Change) का भी असर बताते हैं। उनकी माने तो धीरे-धीरे वेदर का पैटर्न बदल रहा है। गर्मी के समय गर्मी नहीं पड़ रही, बरसात के समय बरसात नहीं हो रही। यह इसी बदलाव का असर है।

स्काईमेट के प्रवक्ता महेश पलावत (Mahesh Palawat) का कहना है कि इसे क्लाइमेट चेंज का असर कहा जा सकता है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी है। वजह है कि हमारे पास इस बदलाव को साबित करने के लिए पिछले सालों का कोई डाटा नहीं है। यह निश्चित रूप से तभी कहा जा सकेगा, जब पिछले 20 से लेकर 30 सालों का डाटा हो। उसका अध्ययन किया जाए और क्लाइमेट चेंज (Climate Change) की वजह से मौसम के पैटर्न में बदलाव को साबित किया जाए।

मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे ने बताया..

मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी हवाएं आ रही हैं। अरब सागर से दक्षिण पश्चिमी हवाएं आ रही हैं। फिर ये दोनों हवाएं मध्यप्रदेश में मिल रही हैं। नतीजतन दोपहर के बाद इन क्षेत्रों में बादल बन रहा है और बारिश से लेकर ओलावृष्टि तक हो रही है।

डीपी दुबे के मुताबिक उत्तर भारत में मॉनसून (Climate Change) के पहले ही इतनी ज्यादा बारिश होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह रेयर जरूर है। ऐसी कंडीशन कई सालों में एक बार बनती है। और साल 2023 को उसमें अब गिना जा सकता है।

बारिश का यह दौर कब तक जारी रहेगा?

मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 5 मई के बाद धीरे-धीरे मौसम गर्म होने संभावना है। मई के दूसरे हफ्ते से बारिश (Climate Change) में कमी आने लगेगी। मई के दूसरे हफ्ते के बाद हीट वेव भी शुरू हो जाएगी। इस ट्रेंड के बढ़ने से उत्तर भारत के राज्यों में गर्मी भी बढ़ने लगेगी।

बारिश ने खराब ​की किसानों की फसलें..

उत्तर प्रदेश के चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां धान की बहुत ही अच्छी पैदावार होती है। इसके साथ-साथ किसान गेहूं, दलहन और तिलहन की फसलों की भी खेती करते हैं। लेकिन बारिश ​की वजह से यहां चिंता बनी हुई है, मिर्जापुर में गेहूं की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है, वही बात करें भदोही की तो यहां पिछले दो दिनों से लगातार बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, इसके साथ ही हाथरस में बारिश (Climate Change) और ओलावृष्टि ने भी फसलों को बर्बाद किया है, इस लिस्ट में फिरोजाबाद और जौनपुर भी शामिल है।

अभी होने वाली ​बारिश का मानसून पर क्या असर पड़ेगा?

मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे के मुताबिक सामान्य मानसून (Monsoon) के लिए हीटिंग बहुत जरूरी है। इस बार अप्रैल ज्यादा गर्मी नहीं पड़ी। मई के शुरुआत में भी बारिश हो रही है। ऐसे में, इस बार मानसून सामान्य से कम रह सकता है। जो तपिश होनी चाहिए थी, वो नहीं वो रही। और इसका असर कम मानसून के रूप में सामने आएगा।

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