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भोपाल की नीति के जीन्स में ही शामिल है बेजुबानों की तकलीफों को दूर करना 

11 मील स्थित सहारा स्टेट निवासी नीति खरे बेजुबान जानवरों के लिए एक मसीहा हैं। सर्दी हो या गर्मी या बारिश कॉलोनी सहित आसपास रहने वाले कई जानवरों को नियमित भोजन देना इनकी दिनचर्या है। साथ ही आसपास यदि कोई जानवर घायल हो जाए तो उसे सही से रेस्क्यू करवाकर जानवरों के अस्पताल आसरा तक पहुंचाना भी इनका काम है। 

नीति के इन्हीं नेक कामों को देखते हुए StackUmbrella ने गुरुवार को सहारा स्टेट पहुंचकर इनके कामों को बारीकी से जाना। इस दौरान नीति स्ट्रीट डॉग, गाय और जंगली जानवरों के लिए भी भोजन पानी की व्यवस्था करते हुए दिखीं। 

दादी से मिले जानवरों की सेवा करने के संस्कार : 
समरधा स्थित एक निजी स्कूल में प्रिसिंपल के पद पर पदस्थ नीति की मानें तो वे जब 10 साल की थीं, तभी से बेजुबानों की उनकी खूब बनती है। दरअसल उनकी दादी मप्र के पन्ना स्थित पैत्रक घर में हमेशा ही बेजुबानों की सेवा करती रहती थीं। रोजाना कई डॉग्स और गाय के लिए भोजन, पानी का इंतजाम करना उनकी दादी की दिनचर्या थी।


इस दौरान जब कभी वे किसी कुत्ते को बीमार देखतीं या घायल देखतीं तो घर पर ही बड़े प्यार से उनका इलाज करतीं थीं। नीति की दादी से यही संस्कार उनके पिता को मिले। अक्सर नीति भी जब पन्ना घूमने जाया करती थीं तो दादी के इसी सेवाभाव को बड़े करीब से देखती थीं। धीरे-धीरे उनके मन में भी जानवरों की सेवा करने का विचार घर कर गया। 

बड़े पद पर रहते हुए भी पिता करते रहे जानवरों से प्यार : 
नीति बताती हैं कि उनका पिता प्रशांत कुमार खरे महाराष्ट्र की एक बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर थे। इसलिए उनका जन्म मुंबई में हुआ। पढ़ाई लिखाई मुंबई, औरंगाबाद और नासिक में हुई। इस दौरान उन्होंने कभी भी अपने पिता को किसी भी जानवर से दुर्व्यवहार करते हुए नहीं देखा। पिता जब भी अपने काम से लौटते सबसे पहले बेजुबानों के लिए भोजन और पानी का इंतजाम करते थे।


इस दौरान मां हमेशा जानवरों के लिए खाना तैयार करती थीं। वहीं पिता समय पर जानवरों को खाना देने का काम करते थे। 2003 में जब नीति अपने माता पिता के साथ भोपाल आईं तो यहां आकर भी उन्होंने यही काम जारी रखा। इस कारण आसपास के कई जानवरों को नियमित समय पर भोजन और पानी मिलने लगा।

लॉकडाउन में भी जारी है जानवरों की सेवा : 
पिछले साल मार्च में लागू 76 दिनों का लॉकडाउन और इस बार प्रदेश सरकार द्वारा लगाया गए 50 दिनों के लाकडॉउन में भी नीति नियमित रूप से स्ट्रीट डॉग्स, गाय और बंदरों के लिए भोजन का इंतजाम करती रहती हैं। पिछली बार लॉकडाउन में इन्होंने कई लोगों के साथ मिलकर दर्जनों मजदूरों के लिए भोजन का भी इंतजाम किया और उन्हें अपने घर तक पहुंचाया था।

इस दौरान कई बार जानवरों ने उन्हें काटा भी है। लेकिन नीति बताती हैं कि जानवरों के भी अपने सुरक्षा के कारण होते हैं। वे बेवजह किसी पर हमला नहीं करते। इस दौरान नीति उन लोगों को संदेश भी देना चाहती हैं, जो जानवरों को पालकर उन्हें अक्सर छोड़ देते हैं। 

नीति कहती हैं कोई भी जानवर खिलौना नहीं है। एक बार उसकी आदत बिगाड़ कर उसे न छोड़ें। इससे अच्छा तो हैं कि जानवर को पाला ही न जाए। ज्यादातर जानवर छोड़े जाने के बाद सदमे, एक्सीडेंट या बीमारी से मर जाते हैं।

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