इसके अलावा बेरोजगारी, रक्षा, रेलवे, बीपीसीएल, बैंक, व बीमा जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों का निगमीकरण और निजीकरण करने के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा श्रमिक संगठन असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा व रोजगार देने की मांग भी कर रहे थे।
एक लाख से अधिक स्थानों पर हुआ प्रदर्शन :
भोपाल में मप्र बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव वीके शर्मा ने StackUmbrella से बातचीत में बताया कि इस विरोध प्रदर्शन में देशभर के करोड़ों कामगारों द्वारा एक लाख से ज्यादा स्थानों पर धरना प्रदर्शन, रैली के माध्यम से केंद्र सरकार की जन, श्रम एवं किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त रूप से विरोध किया गया। मप्र में भी जगह-जगह विरोध कार्यवाही के आयोजन किए गए।
वहीं पूरे देश में लाखों बैंक कर्मियों ने धरना, प्रदर्शन, रैलियों और विरोध स्वरूप बैज धारण कर के माध्यम से इस विरोध कार्यवाही में भाग लिया। प्रदेश में भी सभी जिलों के बैंकों की शाखाओं में बैंक कर्मियों ने बेज धारण कर केंद्र सरकार की जन एवं श्रम विरोधी नीतियों का विरोध किया।
मेहनतकश लोगों पर लगा दिए दुनिया के सबसे कड़े प्रतिबंध :
श्रमिक संगठनों ने इस दौरान सरकार पर आरोप लगाए कि 7 वर्षों के दौरान मेहनतकश लोगों को बढ़ती बेरोजगारी के साथ-साथ रोजगार और कमाई के क्षेत्र में भी नुकसान का सामना करना पड़ा है। कोविड महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मौत बिना बुनियादी चिकित्सा देखभाल के हुई। सरकार ने मेहनतकश लोगों की रक्षा करने की बजाय उन पर दुनिया के सबसे कठोर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
तीन कृषि कानून और चार श्रम संहिताएं, किसान ,मजदूर एवं ट्रेड यूनियन विरोधी हैं। इस तरह के कानून सीधे-सीधे कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। कुछ कॉरपोरेट्स ने तो हर मिनट में 2 करोड़ रुपए की कमाई की है। मार्च 2020 से 2021 के दौरान 140 अरबपतियों ने 12 लाख 94 हजार करोड़ रुपए की कमाई की।