World Bank ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2023-’24 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान जनवरी में 6.6% के अनुमान से घटाकर 6.3% कर दिया।
World Bank के नंबर 2022-23 के पिछले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुमानित 7% विकास दर से महत्वपूर्ण गिरावट को दर्शाती है।
World Bank ने मंगलवार को अपनी इंडिया डेवलपमेंट अपडेट रिपोर्ट में कहा कि भारत की विकास दर में गिरावट अन्य अर्थव्यवस्थाओं से स्पिलओवर प्रभाव, खपत में धीमापन और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने का परिणाम है।
World Bank ने भारत की अनुमानित विकास दर को घटाया
पिछले साल मई से, RBI ने छह मौकों पर रेपो दर बढ़ाकर अपनी मौद्रिक नीति को तेजी से कड़ा किया है। रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है।
World Bank की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की ओवरआल कंसम्पशन को नुक्सान पहुंचेगा बढ़ती उधारी लागत, धीमी आय वृद्धि और निरंतर राजकोषीय समेकन इन सभी कारणों से नुक्सान पहुंच सकता है।
फिस्कल कंसोलिडेशन सरकार द्वारा घाटे को कम करने और डेब्ट स्टॉक के संचय के लिए की गई नीतियों को संदर्भित करता है।
इस बीच, विश्व बैंक की रिपोर्ट ने मूल्य वृद्धि के मोर्चे पर कुछ राहत की भविष्यवाणी की, क्योंकि इसने चालू वित्त वर्ष में इन्फ्लेशन को पिछले वर्ष के 6.6% से घटाकर 5.2% करने का अनुमान लगाया।
विश्व बैंक ने कहा, ” इन्फ्लेशन को कम करने वाले प्रमुख कारक वैश्विक तेल की कीमतों में कमी, खाद्य कीमतों में कमी और मुख्य इन्फ्लेशन में कमी होगी।”
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भारत में वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर Auguste Tano Kouame ने NDTV से बात करते हुए कहा, “हालांकि हमने अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया है, भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।”
उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक एक उप्पर मिडिल क्लास आय वाला देश और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना चाहता है, जिसके लिए उसे 8% की दर से बढ़ने की आवश्यकता होगी। कौमे ने कहा कि गहरे सुधार – उनमें भूमि और श्रम बाजार सुधार, और यह सुनिश्चित करना कि छोटी फर्मों की वित्त और दीर्घकालिक पूंजी तक निरंतर पहुंच हो की आवश्यकता है।