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असम में हिमंत बिस्वा सरमा के सीएम बनने के बाद मप्र में भी सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की सुगबुगाहट तेज

असम में कांग्रेस के हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही मप्र के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या एमपी में भी कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं? अगर ताजा उदाहरण देखें और राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मप्र में भी सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावनाएं हैं। 

कांग्रेस से बीजेपी में आए हिमंत बिस्वा सरमा की ताजपोशी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खुद की है। हिमंत बिस्वा के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मप्र में भी चर्चाएं तेज हैं कि क्या भविष्य में बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मुख्यमंत्री बना सकती है?

 
बिस्वा की ताजपोशी से खुला सिंधिया के सीएम बनने का रास्ता : 
दरअसल सिंधिया पूरे प्रदेश में काफी लोकप्रिय हैं और कांग्रेस में रहते हुए भी वे सीएम पद के मजबूत दावेदार थे। वहीं भाजपा हाईकमान में भी कई वरिष्ठ राजनेताओं से उनकी नजदीकियां हैं और कई लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं। ऐसे में सिंधिया अगर भविष्य में सीएम बन जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।


क्योंकि असम में हिमंत बिस्वा के सीएम बनते ही सिंधिया के भी सीएम बनने का रास्ता खुल गया है। भविष्य में वे अपने राजनीतिक अनुभव के दम पर प्रदेश के मुखिया भी बन सकते हैं। 

मप्र में भाजपा के पास हैं कई बड़े और अनुभवी चेहरे : 

बिस्वा के असम में सीएम बनने के बाद सिंधिया खेमे के लोगों में भी सिंधिया को सीएम बनाने सुगबुगाहट होने लगी है, लेकिन मप्र में भाजपा के पास सिंधिया के अलावा भी कई बड़े चेहरे हैं जो सीएम पद के दावेदार हैं। मप्र में कांग्रेस सरकार के हटने के बाद ही लोग मानकर चल रहे थे कि अगला सीएम कोई और होगा। 


इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, वर्तमान गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का नाम भी खूब चर्चा में थे और वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा को भी लोग प्रदेश के भावी सीमए
के तौर पर देख रहे हैं। 

सिंधिया के नाम पर वापसी लेकिन हुई अनदेखी : 
2018 में 15 साल सत्ता से बाहर रहने के बाद कांग्रेस ने मप्र में वापसी की थी। इस दौरान कांग्रेस ने सिंधिया को ही अपना चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था। भाजपा भी चुनाव में पूरे समय सिंधिया के खिलाफ ही कैंपेनिंग करती रही थी, लेकिन चुनाव के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने करीबी कमलनाथ को मप्र का नया मुखिया बनाया था।

इसके बाद सिंधिया पार्टी में लगातार प्रदेश अध्यक्ष का पद मांगते रहे जो कि उन्हें नहीं मिला। साथ ही उनके  राज्यसभा जाने पर भी अड़चने लगाई गईं, जिससे नाराज होकर अपने 22 समर्थक मंत्रियों और विधायकों के साथ सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए और 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस महज 15 महीनों में ही सत्ता से बेदखल हो गई।

इसके बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भी भेजा। जिसके बाद माना जाने लगा कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक अपने मंत्री मंडल का विस्तार नहीं किया है। सिंधिया अभी भी मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे है।

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