हीरे के लिए काटे जा रहे 2 लाख से ज्यादा मूक वृक्षों का मामला अब देश के साथ ही पूरी दुनिया में तूल पकड़ चुका है। इसी संदर्भ में रविवार को पटना निवासी पीपल, नीम, तुलसी अभियान (Peepal Neem Tulsi Abhiyan) के प्रमुख डॉ. धर्मेन्द्र कुमार (Dr. Dharmendra Kumar) की अध्यक्षता में एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में बक्सवाहा में कट रहे 2.15 हजार पेड़ों का मुद्दा छाया रहा। इसके अलावा केन बेतवा लिंक परियोजना और अन्य विकास कार्यों के नाम पर काटे जाने वाले पेड़ाें को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी में विचार विमर्श हुआ। इस बैठक का संचालन भोपाल निवासी पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति के प्रमुख आनंद पटेल ने किया।
इन मुद्दों पर बनी पर्यावरण प्रेमियों में सहमति :1. बक्सवाहा आन्दोलन को सिर्फ बक्सवाहा तक सीमित न रखकर केन बेतवा लिंक परियोजना और अन्य जगहों पर जंगलो में हो रही या होने वाली कटाई को भी इसमें सम्मलित करेंl
2. इस दौरान एक राष्ट्रीय स्तर की केन्द्रीय समिति बनाए जाने पर विचार विमर्श किया गया। समिति को बनाए जाने के लिए मीटिंग में उपस्थित सभी सदस्यों की सहमति मिली। इस समिति को समन्वय समिति के नाम से जाना जाएगा और जिसमें सम्मानित संस्थाएं और व्यक्तिगत रूप से भी इस समिति से जुड़ा जा सकेगा।
3. डॉ. धर्मेन्द्र ने बताया कि इस समिति का गठन जल्द ही किया जाएगा और जिसमें अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग प्रकोष्ठ बनाए जाएंगे, जिनकी जिम्मेदारी समिति के सदस्यों को दी जाएगी।
4. इस दौरान पर्यावरण प्रेमियों में 24 से 26 जुलाई के बीच भारत के सभी राज्यों से बक्सवाहा जाने के लिए सहमति बनी। इस अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम की रूप रेखा भी तैयार की गई। कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा अगली मीटिंग के बाद साझा की जाएगी।
5. मीटिंग में सभी पर्यावरण प्रेमियों के बीच पोस्ट कार्ड अभियान चलाने पर सहमति बनी। इस पोस्ट कार्ड अभियान में प्रधानमंत्री, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, वन मंत्रालय मध्यप्रदेश को लगातार पोस्टकार्ड भेजकर वनों काे न काटने की अपील की जाएगी। डॉ. धर्मेन्द्र ने बताया कि पोस्ट कार्ड अभियान के माध्यम से हमें अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाना है।
6. अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए बच्चों के माध्यम से बक्सवाहा पर केंद्रित वीडियो बनवाकर अधिक से अधिक सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रसारित कराए जाने पर सहमति बनी। जिससे लोगों को संदेश मिले कि आने वाली पीढ़ी के लिए वृक्षों की बहुत जरूरत है। इससे लोगों का और अधिक समर्थन आंदोलन को मिलेगा।
7. हमारे सम्मानीय साधु-संत या जो भी धर्मगुरु इस अभियान में सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे हैं, यदि चातुर्मास बक्सवाहा में करते हैं, तो इस आन्दोलन को और गति मिलेगी। वर्तमान में जैसे समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार इस आंदोलन में मुखर होकर शासन का विरोध कर रहे हैं।
8. अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को इस अभियान में जोड़ा जाए और सरकार के जंगल काटे जाने के गलत निर्णय से लोगों को अवगत कराया जाए।
9. आंदोलन की आवाज पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए इस अभियान को प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए।
इस मीटिंग में 50 से अधिक लोग मौजूद थे, जिनमें रांची से कमलेश सिंह, भोपाल से करुणा रघुवंशी, भोपाल से रेहान आबिद अली काजमी, मेरठ से कुमारी ईहा दीक्षित, बांका से शिवपूजन सिंह, बरेली मप्र से भूपेंद्र चौधरी, गुना से डॉ. पुष्पराग, पंजाब से अनुराग विश्नोई और भोपाल से विवेक सक्सेना सहित कई लोग मौजूद थे।