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विष्‍णु तिवारी: बेगुनाह होने के बाद भी 20 साल गुजारे जेल में, एक लडकी ने लगाया था रेप करने का झूठा आरोप

भारत में न्‍याय व्‍यवस्‍था के फेलियर को उजागर करने वाली एक बड़ी घटना पूरे देश के सामने आयी है जिसने भारत के न्‍याय सिस्‍टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के ललितपुर गाँव के एक व्यक्ति को सलाखों के पीछे 20 साल बिताने के बाद ‘निर्दोष’ घोषित किया गया। या आप यूं मान सकते हैं कि बिना कोई क्राइम किए विष्‍णु तिवारी ने अपनी 20 साल की जिंदगी जेल में बिताई।

बलात्‍कार का लगा था आरोप

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उत्‍तर प्रदेश के विष्णु तिवारी नाम के एक व्‍यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी जब वह मुश्किल से 23 वर्ष का था। विष्णु पर 2000 में सिलवान गांव की एक महिला ने यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। उस पर बलात्कार और आईपीसी के तहत अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था। SC / ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम। जिसके कारण उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

बेगुनाह विष्‍णु आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अच्‍छे वकीलों का खर्चा नहीं उठा पाया और उसे जेल में इतना समय बिताना पड़ा। हालांकि, पांच साल बाद, उन्होंने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन एक दशक से अधिक समय तक उसे न्‍याय नहीं मिला।

अंत में, बीस वर्षों के बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा विष्णु को निर्दोष घोषित किया गया। अफसोस की बात है कि इन वर्षों में विष्णु के परिवार के प्रत्येक सदस्य की मृत्यु हो गई है।

अपनी सजा के 14 साल पूरे होने के बाद, विष्‍णु ने एक याचिका दायर की और जेल अधिकारियों ने जेल की अवधि के दौरान उनके अच्छे आचरण का संज्ञान लिया, उन्होंने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण से अपील दायर करने के लिए संपर्क किया।

20 साल बाद मिला न्‍याय

अदालती कार्यवाही के दौरान, यह देखा गया कि विष्णु के खिलाफ एफआईआर मामले के तीन दिन बाद दर्ज की गई थी और उस महिला के निजी अंगों पर कोई चोट नहीं थी, जिसने दावा किया था कि वह यौन शोषण का शिकार है।

उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, “रिकॉर्ड पर तथ्यों और सबूतों को देखते हुए, हम आश्वस्त हैं कि अभियुक्त को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था, इसलिए, ट्रायल कोर्ट के फैसले और लगाए गए आदेश को उलट दिया गया है और आरोपी को बरी किया जा रहा है”

ना जाने कितने विष्‍णु हो सकते हैं बेगुनाह

130 करोड़ लोगों की पापुलेशन वाला हमारा देश में लगभग 4 करोड ऐसे केस हैं जिन पर सुनवाई नहीं हुई है और मामले के आरोपी जेल में हैं जो शायद बेगुनाह हो सकते हैं। संसद में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आकडों के अनुसार, भारत के सुप्रीम कोर्ट, विभिन्न उच्च न्यायालयों और कई जिला और अधीनस्थ अदालतों में लगभग 4 करोड़ मामले पेंडिंग हैं। ये रिपोर्ट 1 फरवरी 2021 की है।

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