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Ukraine Vs Russia : आखिर यूक्रेन क्यों नहीं कर सकता रूस के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल

पिछले कई दिनों से जो आशंका लगाई जा रही थी वो अब सच होती दिख रही है। रूस ने यूक्रेन पर हमला  शुरू कर दिया है। रूस ने यूक्रेन पर मिसाइल हमला करते हुए उसके एयर डिफेंस को नष्ट करने का दावा किया है। वहीं, यूक्रेन ने भी रूस के कई विमान और हेलीकॉप्टर को मार गिराने की बात कही है।

हालांकि, ये बात पूरे विश्व को पता है कि अगर ये युद्ध ज्यादा दिन तक चला, तो यूक्रेन की सेना रूस के आगे ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी। रूस के पास करीब छह हजार से ज्यादा परमाणु बमों का जखीरा मौजूद है, जिससे उसके विरोधी देशों में भय की स्थिती बनी रहती है।

Why Ukraine is not using Nuclear Weapons against Russia-

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एक समय ऐसा था जब यूक्रेन के पास भी बड़ी संखया में परमाणु बम हुआ करते थे। यूक्रेन ने जब सोवियत संघ से अलग होने की घोषणा की थी। तब रूस के बनाए हुए परमाणु बम यूक्रेन में ही थे।

5 दिसंबर 1994 को जब हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के नेताओं ने एक बैठक की थी। इस बैठक में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। जिस को बुडापेस्ट मेमोरंडम ऑन सिक्योरिटी अश्योरेंस नाम दिया गया था। इसके तहत यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान को उनकी स्वतंत्रता, संप्रभुता और मौजूदा सीमाओं के सम्मान का आश्नासन दिया गया।

इन देशों को ये भी भरोसा दिया गया कि विदेशी शक्तियां इनकी संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए कभी भी खतरा नहीं बन सकेगी। इस समझौते के बदले में तीनों देशों को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपने परमाणु हथियारों का त्याग करना था। और फिर साल 1996 तक यूक्रेन में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपने परमाणु बमों को रूस को सौंप दिया। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने यूक्रेन को ये फैसला जल्दबाजी में लेने से मना किया था। इस कदम का खामियाजा यूक्रेन को अब भुगतना पड़ रहा है। 

साल 2014 में भी परमाणु बम को त्यागने का खामियाजा यूक्रेन को भुगतना पड़ा, जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर सेना भेजकर कब्जा कर लिया था। रूस ने इसके बाद क्रीमिया में जनमत संग्रह करा कर इसे अपने में मिला लिया। इस वक्त अमेरिका समेत विभिन्न पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की थी। हालांकि, इन प्रतिबंधों का रूस पर कितना असर हुआ, ये वर्तमान में यूक्रेन पर हो रहे हमले से साबित हो गया है।

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