उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए हम कितना प्रभावी ढंग से बचाव और राहत का कार्य कर सकते हैं उसका उत्तम उदाहरण आज यहां प्रस्तुत किया गया है।
रायसेन कलेक्टर और बुधनी के तहसीलदार ने की लाइव चर्चा :
रायसेन में भारी बारिश के मद्देनजर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने सीएम को सिचुएशन रूम से चर्चा के दौरान बताया कि जहां बाढ़ की आशंका होती है, हमने वो पूरे गांव देख लिए हैं। हमने 10-10 लोगों की टीम बनाई है इनमें तैराक और गांव के लोग हैं। लोकल बोट की भी व्यवस्था है। जलभराव की स्थिति बनते ही बचाव कार्य शुरू किया जा सकेगा।
किसी भी आपदा से निपटने में मिलेगी मदद :
चाहे अपराधी द्वारा परिस्थिति पैदा की गई हो, एक्सीडेंट हो, आग लगी हो, भूकंप आ गया हो। इन सभी आपदा से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा।
आधुनिक तकनीक की मदद से हम आपदाओं से और बेहतर तरीके से लड़ सकेंगे।
टेक्नोलॉजी के साथ 5500 होमगार्ड और 550 SDRF के जवान व अन्य टीमें किसी भी आपदा से निपटने हेतु तैयार हैं।
वल्लभ भवन स्थित राज्य स्तरीय सिचुएशन एवं डिज़ास्टर कंट्रोल रूम का लोकार्पण किया। https://t.co/C9ubC1XY9Y https://t.co/FFUQKJX5gW pic.twitter.com/uxCOYPSdiM
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 9, 2021
अर्ली वार्निंग सिस्टम के तौर पर करेगा काम :
आपदा प्रबंधन के लिए स्थापित इस सिचुएशन रूम में मप्र के ताजा मौसम की जानकारी, नदी, तालाबों और डेम का जलस्तर, कहीं डेम के गेट तो नहीं खुले और कहां बाढ़ के हालात हैं? यह सारी जानकारी हमेशा लाइव रहेगी। इस सिचुएशन रूम को बनाने का उद्देश्य आपदा वाले स्थान का तुरंत पता लगाकर मानव जीवन को बचाना है। यह सिचुएशन रूम अर्ली वार्निंग सिस्टम के तौर पर काम करेगा।
ट्रैफिक पुलिस के 10 हजार और स्मार्ट सिटी के 500 कैमरों को भी इसके साथ जोड़ा जाएगा। कोरोना संकट के बीच मध्यप्रदेश में आपदा प्रबंधन में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर आपदा के दौरान कम से कम समय में पीड़ितों तक यथोचित मदद पहुंचाने राज्य स्तरीय सिचुएशन रूम बनाया गया है।