मानसिक गुलामी का पहला उदाहरण अज्ञात वाहन चालक ने पेश किया। वह दोनों युवकों को टक्कर मारने के बाद मौके से फरार हो गया। लेकिन बाद में वहां मौजूद लोगों ने भी मानसिक गुलामी का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। मौके पर मौजूद सभी लोग तमाशबीन बने रहे और अपने स्मार्टफोन से दोनों युवकों के फोटो और वीडियो बनाते रहे।
देवदूत बनकर आए निगम के एएचओ :
बताया जा रहा है कि दोनों युवकों के सिर और हाथ में गंभीर चोटें आई थीं। दुर्घटना के बाद दाेनों युवक बहुत देर तक सड़क पर ही तड़पते रहे। इस दौरान किसी ने भी उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नहीं निभाई। बल्कि राहगीरों की भीड़ तमाशबीन बनी खड़ी रही।
(नगर निगम के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी अजय श्रवण)
तभी कोकता ट्रांसपोर्ट नगर के नगर निगम सहायक स्वास्थ्य अधिकारी अजय श्रवण (AHO BMC Ajay Shravan) ने भीड़ देखकर अपने वाहन को रुकवाया। जैसे ही उन्हें घायल युवकों की जानकारी मिली तो अपनी टीम की सहायता से अपने सरकारी वाहन में दोनों को हमीदिया अस्पताल पहुंचाया और दोनों के इलाज की व्यवस्था करवाई।
समय पर इलाज मिलने से दोनों की स्थिति खतरे से बाहर :
जानकारी के मुताबिक समय पर उपचार मिलने से दोनों युवक की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। वहीं निगम अधिकारी द्वारा पेश की इस मिसाल की वरिष्ठ अधिकारियों और सहकर्मियों ने प्रशंसा की है। बताया जा रहा है कि मौके पर कोई भी राहगीर घायलों को मदद करने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में निगम अधिकारी ने बिना किसी बात की परवाह किए तत्काल घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
StackUmbrella से बात करते हुए एएचओ अजय श्रवण ने बताया कि मैं कोकता स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन का निरीक्षण कर लौट रहा था। तभी रास्ते में भीड़ दिखी। गाड़ी रुकवाकर देखा तो दो युवक सड़क पर घायल अवस्था में तडप रहे थे। तभी मैंने दोनों को अस्पताल पहुंचाने का निर्णय लिया। दोनों को समय पर इलाज मिलने से मुझे मानसिक शांति और प्रसन्नता मिली।
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