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महामारी के इस दौर में योग के इन उपायों को करने से नहीं होगा कोरोना का डर

देश में कोरोना वायरस का खतरा एक बार फिर बढ़ने लगा है। महाराष्ट्र, केरल सहित कई राज्यों में पिछले एक सप्तह से आने वाले आंकड़े बहुत भयानक हैं। बात यदि मप्र की करें तो यहां के सबसे बड़े शहरों भोपाल और इंदौर में भी कोरोना भयानक तबाही फैला रहा है, लॉकडाउन के दौरान जो तस्वीरें भारतीयों के दिलों को सबसे ज्यादा दहला रही थीं। वो फिर से सामने आने लगी हैं। अस्पतालों से रोजाना कई कोरोना संक्रमितों के शव निकल रहे हैं, जिनके अंतिम संस्कार के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों को रात-बेरात फोन भी किए जा रहे हैं। 

इस खतरनाक तस्वीर के बीच भी वे कौन से उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर हम महामारी के दौर में भी सुरक्षित रह सकते हैं और अपने दिन प्रतिदिन के कामों को सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं। जानकारों की मानें तो इन उपायों की सहायता से हम न केवल स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ अपने रोग प्रतिरक्ष तंत्र (Immune System) को मजबूत कर अन्य बीमारियाें से भी बचे रह सकते हैं।

प्राणायाम मन को शांत कर मजबूत करता है इम्यून सिस्टम : 
जानकारों की मानें रोजाना प्राणायम करने से न केवल मन शांत होता है, बल्कि हमारा शरीर भी मजबूत होता है। साथ ही कुछ यौगिक क्रियाएं भी हमारे शरीर को स्वच्छ करने में मदद करती हैं। अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ की मानें तो लॉकडाउन के दौरान जिन लोगों ने भी घर पर रहते हुए नियमित योग और प्राणायम किए उनके शरीर का रोग प्रतिरक्षा तंत्र आश्चर्यजनक रूप से मजबूत मिला। 

साथ ही इन लोगों का जब एंटीबॉडी टेस्ट कराया गया तो इनकी एंटीबॉडी भी बड़ी हुई मिलीं।  महासंघ की मानें तो उनके द्वारा पिछले साल मई से ही इस दिशा में शोध शुरू कर दिए गए थे। जिसके नतीजे उम्मीद से ज्यादा अच्छे मिले हैं। महासंघ के प्रमुख योगगुरु मंगेश त्रिवेदी के अनुसार पिछले दस महीने में देश के सभी प्रांतों में दस लाख कोरोना मरीजों पर प्राणायाम और यौगिक क्रियाओं का अध्ययन किया गया।

जिन मरीजों पर अध्ययन किया गया वह सभी होम आइसोलेशन में थे। इन पेशेंट्स ने केवल आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ रोजाना प्राणायाम और यौगिक क्रियाओं को किया। 

आयुष मंत्रालय को सौंपी गई है रिपोर्ट : 

इस दौरान सभी मरीजों का एंटीबॉडी टेस्ट भी कराया गया, जिसके बाद आए नतीजों ने सभी के चेहरों पर चमक ला दी है। महासंघ के अध्यक्ष मंगेश त्रिवेदी कहते बताते हैं कि जिन मरीजों पर यह रिसर्च की गई उनकी एंटीबॉडीज भी बढ़ी हुईं मिलीं। नतीजे साफ थे कि प्राणायम और यौगिक क्रियाओं के बाद हर व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता बढ़ गई।


साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि इन मरीजों को किसी तरह की अंग्रेजी दवा भी नहीं दी गई। देश में योग पर पहली बार किए गए इतने बड़े सर्वे के अध्ययन की शोध रिपोर्ट भी आयुष मंत्रालय को सौंपी गई है।
 सर्वे में जिन प्राणायाम और यौगिक क्रियाओं को शामिल किया गया था, उनमें अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और कपाल-भाति प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके अलावा कुछ और प्राणायामों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। 

इन प्राणायामों से करें शरीर को मजबूत : 

1. नाड़ी शोधन प्राणायाम 
प्राणायम का नाम सुनते ही सबके मन में सबसे पहले अनुलोम-विलोम का ख्याल आता है। लेकिन अनुलोम-विलोम को वास्तव में नाड़ी शोधन प्राणायम भी कहा जाता है। घेरण्यसंहिता में इस प्राणायम को अमृत तुल्य माना गया है। माना जाता है कि इसको करने से स्वास्थ्य में तेजी से लाभ होता है। 

इस प्राणायाम में की शुरुआत बाएं नासिका से होती है। दाहिंने नासिका छिद्र को बंद कर बाईं नासिका से श्वास ली जाती है और इसे धीरे-धीरे दाएं ओर से छोड़ दी जाती है। इसके बाद यही प्रकिया दूसरी तरफ से होती है। यानि बाएं नासिका छिद्र को बंद कर दाएं से सांस ली जाती है और इसे उसी तरह धीरे-धीरे छोड़ दिया जाता है। इस तरह से एक चक्र पूरा होता है। शुरुआत में 5 चक्र करें और इसे 10 से 20 चक्र तक ले जाने की कोशिश करें। 

वहीं श्वास लेते समय जितना समय लगता है। उसके दोगुने समय में इसे छोड़ा जाए। यानि यदि श्वास लेने में 4 सेकेंड का समय लगा है तो श्वास को आठ सेकेंड या इससे ज्यादा समय में छोड़ा जाना चाहिए। इस प्राणायाम के अनेक लाभ हैं, जैसे  चिंता एवं तनाव कम करने, शांति, ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने में यह सहायक है। शरीर में ऊर्जा का मुक्त प्रवाह करने के साथ यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। 

2. भस्त्रिका : 
‘भस्त्रिका’ भस्त्र शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। इस प्राणायाम में लौहार की धाैंकनी की तरह ही शरीर से आवाज निकलती है। इस प्राणायाम में श्वास को धीरे-धीरे 4 से 5 सेकेंड में लें। सांस को रोककर बलपूर्वक छोड़ दें। इस दौरान धौंकनी की तरह आवाज होती है। हालांकि दिल के मरीज, हाई ब्लड प्रेशर और एसिडिटी से पीड़ित मरीज को इसे नहीं करना चाहिए।  

3. भ्रामरी : 
भ्रामरी शब्द की उत्पत्ति ‘भ्रमर’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है गुनगुनाने वाली काली मधुमक्खी। इस प्राणायम में धीमे-धीमे श्वास लेकर कुछ समय रोककर “म्म” का गुंजन करते हुए 20 से 25 सेकेंड में श्वास को छोड़ा जाता है। इस प्राणायाम को करने से मस्तिष्क शांत होता है। तनाव खत्म होता है। क्रोध कम होता है। मेडिटेशन करने वालों के लिए यह बहुत फायदेमंद है। साथ ही इसको करने से चिंता और डिप्रेशन भी खत्म होता है।

4. कपालभाति :
कपालभाति एक यौगिक क्रिया है, जो फेफड़ों को स्वच्छ करती है। इसमें सांस को तेजी से छोड़ते हैं। दिल के रोगी, चक्कर की समस्या वाले लोग, हाई बीपी, हर्निया, एसिडिटी और अल्सर वालों को इसे नहीं करना चाहिए।

इसका नियमित अभ्यास करने से वजन कम होता है। त्वचा में निखार आता है। बालों को सफेद होने से रोकते है। अस्थमा को कम करता है।  बलगम की शिकायत कम होती है। साइनस के उपचार में, पाचन क्रिया को सुधारने में , फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में,  कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में, कब्ज की शिकायत को दूर करने  काम आता है।

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