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‘न’ कहने की डाल लें आदत, इससे होते हैं ये कमाल के फायदे

Benefits of saying ‘No’: अक्सर हम देखते हैं कि ज़्यादातर लोग औरों की हाँ में हाँ मिलाते हैं। और फिर ये कब उनकी आदत बन जाती है पता ही नहीं चलता। आज के दौर में लोगों की ये मानना है कि सामने वाले से अगर काम निकालना है तो उसकी हाँ में हाँ मिलाओ। जबकि ये करते हुए हम अपने अंदर की ‘न’ को भी ‘हाँ’ समझना शुरू कर देते हैं और उसके बाद जब हमारा मन और दिमाग जिस उलझन में उलझ जाता है तब हमारे जीवन में जो होता है उसकी दवा हक़ीम लुकमान के पास भी नहीं।

आइए जानते हैं कि वो कौन सी बातें है जहाँ हमें खुद से ‘न’ बोलना चाहिए-

ओवर थिंकिंग को ‘न’ कहें-

क्या आप की भी आदत है बीती बातों को सोचने की आखिर उसने ऐसा क्यों कहा? ऐसा क्यों नहीं कहा? उसको मुझसे ही ये क्यूं कहना था? दूसरों से तो ऐसा नहीं बोला। वगरैह वगरैह तो आप की ये आदत आप के ब्लड प्रेशर बढ़ने की एक वजह हो सकती है। इस आदत को ‘न’ बोलना सीखें। ये चेंज एक ही दिन में नहीं आएगा मगर आदत को बदलने के लिए आपको अपने आप को बिलकुल बच्चों की तरह समझाना है कि नहीं आप की ये सोच चाहे जितनी भी सही क्यों ना हो पर आप अपने आप से तो ‘न’ कह सकते हैं। ऐसा करने से बहुत फायदे है इस से आप को जो समय मिलेगा उसका इस्तेमाल आप अपने लिए कुछ अच्छा सोचने में कर सकते हैं। याद रखिए हर व्यक्ति आपकी तरह ही कई दिशाओं में सोचता हुआ हो सकता है इसलिए इन बातों पर तूल ना दें।

यदि आप डाइट कर रहे तो मन को ‘न’ कहना सीखें-

मन अगर ड्राइवर हो तो एक्सीसडेंट की संभावना 100% पक्की हो जाती है इसलिए ड्राइविंग के कुछ रूल बनाए जाते हैं ,जिन्हे आप को फॉलो करना होता है और आप अचानक होने वाले एक्ससीडेंट से बच जाते हैं। इसी तरह अगर बात आपकी हेल्थ की है तो सबसे पहले आप को ही उसका हल निकलना होगा क्यूंकि वो आपकी प्रॉपर्टी है जिस पर आपका ही पहला और अंतिम अधिकार है, अगर आप ने शुरू से इस पर नियंत्रण नहीं रखा तो इस का कोई और उपाय नहीं इसलिए अपने खान-पान का नियंत्रण और भोजन के चुनाव में मन और दिमाग की रेस में अपने दिमाग को ज्यादा दौड़ लगाने के स्थान पर उसे जिताने की आदत डालें और केवल स्वाद के पीछे भागने को स्वयं ‘न’ बोले सीखें।

अपने लिए समय निकाले और दूसरों के फालतू कामों को ‘न’ कहना सीखें-

अक्सर हम दूसरों के कामों या बातों को सुनने के लिए अपने टाइम को वहां स्पेंड कर देते है, जहाँ हमें अपना समय नहीं लगाना चाहिए। कई बार अपने आप को रिलीफ देने के लिए हम उन बातों में अपना इंटरेस्ट दिखाते है जहाँ होना हमारे लिए हमारी प्रतिभा और क्षमता दोनों के प्रतिकूल होता है जैसे दूसरों की चुगली सुनते-सुनते हम कब चुगली करना करना शुरू कर देते हैं और फिर कब उससे हमें हर बात पर रोना रोने की आदत हो जाती है ये पता नहीं चलता। ऐसा करने से बचने के लिए आपको अपना गोल हमेशा याद रखना चाहिए। जहाँ आपकी रूचि नहीं हो वहां आप कोई बहाना करके या विनम्रता से आग्रह कर के ना कह सकते हैं।

डर को ‘न’ कहना सीखें-

हमारे सपनों की उड़ान में सबसे बड़ा रोड़ा होता है हमारा डर। हम चिंता और डर के कारण सपने को ही छोड़ कर समझौता कर लेते हैं और फिर सोचते है की वक़्त हाथ से निकल गया अब कुछ नहीं हो सकता, उम्र निकल गई, अब शरीर साथ नहीं देता या फिर कुछ रूढ़िवादी बातें हमारा रास्ता रोक देती है। इन सबसे बचने का केवल एक ही उपाय है। वो ये कि- हम अपने डर पर काबू पाना और उसे ख़त्म करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। 

ये कुछ ऐसी बातें हैं जहाँ खुद को सही रास्ते पर चलाने के लिए हमें ‘न’ कहने से कोई परहेज नहीं करना चाहिए।

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