Informative

Makar Sankranti 2025: क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? यंहा जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सबकुछ

Makar Sankranti 2025

Makar Sankranti 2025: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल सूर्य देव के मकर राशि में गोचर की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन ब्रह्म बेला में गंगा स्नान किया जाता है। इसके बाद पूजा-पाठ, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही सूर्य देव की पूजा करने से निरोगी जीवन का वरदान मिलता है।

2.36 घंटे का रहेगा महापुण्य काल

Makar Sankranti 2025

 

इस बार मकर संक्रांति पर महापुण्य काल 2.36 घंटे का रहेगा। सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.06 बजे तक गंगा स्नान कर दान-पुण्य किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का श्रेष्ठ समय मंगलवार को सुबह 8.56 बजे से शाम 5.41 बजे तक रहेगा। पूरे दिन गंगा स्नान और दान करना लाभकारी रहेगा।

ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को जल चढ़ाना बहुत ही शुभ और उन्नतिदायक होता है। सूर्य को जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह मजबूत होते हैं। ज्योतिषाचार्य हिमांशु पाराशर ने बताया कि 14 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5.27 बजे से 6.21 बजे तक रहेगा। अमृत काल का शुभ समय सुबह 7.55 बजे से 9.29 बजे तक रहेगा।

Makar Sankranti 2025 पूजा विधि

Makar Sankranti 2025

 

मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इस समय सूर्य देव को नमस्कार करके दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। साथ ही गंगा जल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। दैनिक कार्यों से निपटने के बाद संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नहीं तो गंगाजल युक्त जल से स्नान करें।

अब जल पीकर शुद्धि करें और पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और हाथ में तिल लेकर जल की बहती धारा में प्रवाहित करें। अब पंचोपचार विधि से सूर्य देव की पूजा करें। पूजा के दौरान सूर्य चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और पूजा का समापन करें। पूजा के बाद अन्न का दान करें। साधक अपने पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं।

Read Also: Uber One: Uber ने शुरू की भारत में अपनी subscription service; जाने इसकी पूरी जानकारी

इसलिए भी है यह पर्व खास

Makar Sankranti 2025

 

ज्योतिषियों ने बताया कि भगवान सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके प्रत्यक्ष दर्शन सभी लोग प्रतिदिन करते हैं। भगवान सूर्य 12 महीनों में 12 अलग-अलग राशियों में प्रवेश करते हैं। यानी भगवान सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहते हैं। इन 12 राशियों में से 6 राशियां दक्षिणायन होती हैं और शेष 6 राशियां उत्तरायण होती हैं, जिस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। उस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन से सनातन धर्म के सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। उत्तरायण के 6 महीने सभी कार्यों के लिए होते हैं।

रामायण में लिखी एक चौपाई के अनुसार, माघ महीने में जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस समय सभी तीर्थयात्री मां गंगा में स्नान करने आते हैं, इसलिए मकर संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से गंगा में स्नान करने जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।

Read Also: PAN 2.0 Update: भारत में करदाता पहचान में क्रांतिकारी बदलाव

Share post: facebook twitter pinterest whatsapp