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Yoga Practice के द्वारा जीवन करे रोग मुक्त

Yoga Practice

Yoga Practice संक्रमणयुक्त रोगो को लेकर सम्पूर्ण विश्व में भय एवं आतंक का माहौल ही दृष्टिगोचर होता है। ऐसे में लोग को संक्रमणयुक्त रोगो से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय एवं खुद की दिनचर्या मे बदलाव लगातार कर रहे थे। लोग खुद की सोच से कई प्रकार के नुस्खे एवं उपाय अपनाने के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधकता और शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए आर्युवैदिक औषधीय एवं परंपराओं की ओर भी लौट रहे है, इसमें सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण  योग है ,

Yoga Practice के द्वारा जीवन करे रोग मुक्त

योग का अर्थ होता है जोड़ना, जो आत्मा को परमात्म से मिला दे वो योग है , योग का अर्थ , जोड़ना  योग  के नियमित एवं लगातार अभ्यास से मन मस्तिष्क के साथ साथ शारिरिक स्वस्थ एवं ताकत और बढ़ाया जा सकता है, साथ-साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत और ताकतवर बनाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। संक्रमणयुक्त रोगो के आने के बाद श्वसन संबंधित संक्रमण एवं श्वसन तंत्र को कमजोर करने वाले इस संक्रमणयुक्त रोगो से हमें लड़ाई लड़ने के लिए योग एक मार्गदर्शक की भूमिका में हो गया है, क्योंकि इससे संक्रमणता के साथ मानसिक मनोरोग के मामलो में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है।।

अभी लोगो को इन मानसिक मनोरोगो में उदासीनता , तनाव, भय, आक्रमकता,  चिंता,  आदि बहुत से मनो विकारो से हमें दो चार होना पड़ रहा है  ,, इन सब को भी हम योग एवं योगासन के माध्यम से निर्विवाद समाप्त कर सकते है।।

इस प्रकार हम मानसिक विकारो के साथ

श्वसन एवं शारीरिक संबंधित रोगज़न्य असाध्य रोगो को दूर कर सकते है, जैसे खांसी, जुखाम, वायरल बुखार, कमर दर्द, सांस लेने की तकलीफ एवं परेशानी आदि बीमारियां एवं रोगो  को भी दूर करने के साथ  इनसे मुक्ती  भी पा सकते  है।।

योगसन करने से व्यक्तियों में स्फूर्ति व ऊर्जा एवं आलौकिकता का संचार होने के साथ-साथ शरीर की जड़ चेतना के साथ नसो नाड़ियों,आन्तरिक अंगो की शुद्धि एवं नयापन और शरीर में निखार भी धीरे धीरे परिलक्षित होती दिखाई देने लगता है। साथ ही साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बड़ जाती है , एवं रोगो से लड़ने की ताकत भी मिलती रहती है।

  • कोरोनावायरस के काल में योग के प्रति जागरूकता एवं सजगता

वर्तमान समय में कोरोनावायरस की दवाई एवं उपायो को लेकर सिर्फ रिसर्च एवं अनुसंधान लगातार जारी है ,अभी भी वैक्सीन को लेकर  सिर्फ शोध और परीक्षण बिना रोक टोक चल रहे है ,इस बीच  हमारे देश  भारत में  पुरातन औषधीय इलाज एवं परंपरागत तरीके से संसार को कोरोनावायरस से लड़ने एवं इसके प्रति संवेदनशीलता और समग्रता पूर्ण सजग रहने के लिए एक द्वार बता रही है।

कोरोनावायरस काल में आयुर्वेदिक औषधियों का पूर्णरूपेण इस्तेमाल एवं इलाज करके  व्यक्ति  अपना खुद का रोगप्रतिरोधक क्षमता कर रहें थे, तो इसी कड़ी में कोरोनावायरस(Yoga Practice) के कारणो से व्यक्तियो में योग को लेकर समझ और जागरूकता भी लगातार बढ़ती हुई  दिखाई दे रही थी।

  • कुछ योगाभ्यास

कपालभाति प्राणायाम है। इस प्राणायाम के माध्यम से कई रोगो से मुक्ति मिल सकती है ,इसको करने के लिए हमें अंदर सांस लेते है, और बाहर छोड़ते है। प्रतिदिन करीब पांच से दस मिनट तक इस प्रणायाम का अभ्यास करने से आपकी रोग प्रतिरोधकता की क्षमता मजबूत होगी और आप किसी भी प्रकार के आनचाहे संक्रमण से खुद का बचाव करते सकते है ।।

विधि –

  • सर्वप्रथम पहले एक योग मैट जमीन पर बिछा लें।
  • अब इस पर शांतिपूर्ण बैठ जाएं।
  • सांस लीजिए और पेट पर धीरे धीरे जोर देते हुए तेजी से सांस बाहर की ओर छोड़ें।
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए इस प्राणायाम को आप प्रतिदिन प्रातःकालीन और शायः कालीन पांच से दस मिनट तक करें।
  • अनुलोम विलोम से भी रोगप्रतिरोधक का विकास

अनुलोम विलोम नामक योगाभ्यास से आपको नैसर्गिक रूप से होने वाली सर्दी खांसी और जुकाम वेबजह नहीं होता है। असल में अनुलोम विलोम योगासन नामक प्रणायाम को करने से श्वसन तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है।

Yoga Practice

विधि –

  • शांत प्राकृतिक आयाम के वातावरण में योग मैट या किसी भी प्रकार के आसन पर जमीन पर बैठ जाएं।
  • एवं अपने बाएं हाथ के अंगूठे से, बायीं नाक के छिद्र को बंद करके साथ ही , दायीं नाक के छिद्र से सांस लगातार लें।
  • इसी बिषय में दायीं नाक के छिद्र को अपनी हाथ की एक उंगली से बंद करें और बायीं हाथ के तरफ के नाक छिद्र को खोलकर, इसके जरिए लगातार सांस छोड़ें।
  • दूसरी ओर से भी इस प्रक्रम को दोहराते रहे।
  • कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इस प्राणायाम को रोज प्रातःकालीन करीब पांच से दस मिनट करें।
  • भस्त्रिका प्राणायाम भी करे रोगो से मुक्त

भस्त्रिका नामक प्राणायाम के द्वारा भी आप अनेक बीमारी के संक्रमित होने से बचे सकते हघ । भस्त्रिका नामक प्रणायाम को करने से मानव शरीर की कोशिकाएं स्वस्थ ऊर्जावान बनी रहती हैं और श्वसन क्रिया से संबंधित कोई भी बीमारी आपको नहीं छु सकती है । साथ ही साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत रहेगी। इसके कारण आप किसी भी वायरस के संक्रमण से बचे रह सकते थे ।

विधि-

  • सर्वप्रथम पहले किसी योग करने वाली मैट पर बैठ जाएं।
  • अब एक बड़ी गहरी सांस लें।
  • अब पेट पर धीरे धीरे जोर देते हुए सांस बाहर की तरफ छोड़ें।
  • इस प्रणायाम को करीब 4-6 मिनट तक प्रतिदिन करे ।
  • आप इसे प्रातःकालीन और शायःकालीन दोनों समय करे।

भारतवर्ष ईश्वर की भूमि है , यह वीरता , त्याग, एवं बलिदान की भूमि ,, यहां के लोगो  देने (त्याग) के भाव से ओत-प्रोत है , वे समग्र विश्व को अपना परिवार मानते है। ऐसी पावन माटी में हमारे पूर्वजो का खून मिला हुआ है ,,, ,, इस महानतम जम्भू दीव (एशिया) के दक्षिण भाग में स्थित भारतीय प्रायद्वीपीय , भारत (आयार्वत) नामक देश ने संसार को हमेशा कुछ ना कुछ दिया है

कभी किसी से कुछ लिया नही करोड़ो बर्ष के लिखित इतिहास में एक काल खंड भी ऐसा नही आया जब हम ने किसी पर हमला या किसी की भूमि पर कब्जा किया हो .. इसी बात को आगे करते हुए …. भारत ने संसार को योग ,आयुर्वेद और वेदों से संचित किया .. इसलिए हम बहुत भाग्यशाली है , जिसका जन्म इस पावन भूमि पर हुआ….

हमारे ऋषि, मुनियो ने जो योग नामक ज्ञान हमें दिया उसके लिए हम चिर काल तक आभारी रहेगें ।।

योग प्रणायाम एवं योगाभ्यास के सकारात्मकता पक्ष हमेशा सामने आए है । इसे वैश्विक स्तर पर पीड़ित मानवता की सेवा और शांति के लिए हमे योगाभ्यास को स्वयं के जीवन में स्थापित करने के प्रयास जारी रखने होंगे। साथ ही साथ हमे यम, नियम, आसन, प्रणायाम, ध्यान, आदि के नियमित अभ्यास कर खुद को एवं इस प्राकृतिक वातावरण को भी स्वस्थ बनाये रखना होगा , इसलिए हम शपथ ले हम रोज प्रातःकालीन योग(Yoga Practice) जरूर करेंगे एवं मानव जीवन को सार्थकता की ओर ले जाएंगे।।

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