अरूणाचल प्रदेश में भारत और म्यांमार की सीमा के पास एक क्षील है जिसे “द लेक ऑफ नो रिटर्न” के नाम से जाना जाता है। यह क्षील कुछ रहस्यमयी और जादुई घटनाओं की वजह से पूरी में दुनिया में प्रसिध्द है। ऐसा माना है जो भी एक बार इस क्षील के आस पास जाता है वो कभी भी लौट कर नहीं आता।
झील की लंबाई 1.4 किमी और चौड़ाई में 0.8 किमी है। यह लेडो रोड के एसडब्ल्यू से 2.5 किमी दूर स्थित है, जिसे पहले स्टिलवेल रोड कहा जाता था। झील को “भारत के बरमूडा त्रिकोण” के रूप में भी जाना जाता है।
क्षील के बारे में कुछ रहस्यमयी तथ्य
इस क्षील के बारे में कुछ ऐसे अदभुद तथ्य है जो इसे रहस्यमयी बनाते हैं –
- ऐसा कहा जाता है कि दूसरे विश्व युध्द के दौरान अमेरिकी पायलटों ने इस क्षील के पास समतल जमीन समझकर आपातकालीन लैंडिंग करा दी थी और इसके बाद वे अचानक गायब हो गए थे जिसके बाद वे कभी नहीं देखे गए। बाद में अन्य अमेरिकी सैनिकों इस घटना का पता लगाने के लिए भेजा गया लेकिन वो भी वहां से वापस नहीं लौट सके।
- एक कहानी ऐसी भी है कि लड़ाई से लौट रहे जापानी सैनिकों का एक समूह रास्ता भटक गया और झील पर आ पहुँचा। और इसके बाद वे कभी भी नहीं देखें गए।
यह क्षेत्र तंगसा जनजाति का घर है और झील पास के भारतीय चांगलांग जिले में पर्यटन के विकास में एक भूमिका निभाती है, जो बर्मा पर सीमावर्ती है। पर्यटन के चलते क्षील को दूर से देखने की अनुमति दी जाती है लेकिन इसके अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाती। खबरों की माने तो इस क्षील के रहस्य का पता लगाने की कोशिश काफी लोगों ने की लेकिन अब तक नाकामयाबी ही हाथ लगी।