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Gotabaya Rajapaksa: श्री लंका के पूर्व राष्ट्रपति अपने देश वापस लौटआए है, सुरक्षा के है पुख्ता इंतजाम

Gotabaya Rajapaksa ReturnsSri Lanka: श्री लंका में मार्च महीने से शुरु आर्थिक संकट ने भयावह रुप 9 जुलाई को ले लिया था। जब वहां की  जनता ने राष्ट्रपति भवन पर उग्र प्रदर्शन कर राष्ट्रपति भवन को टूरिस्ट स्पॉट बना दिया था, जिसके बाद राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे। देश से उनके चले जाने के बाद से राष्ट्रपति का दायित्व रानिल विक्रमसिंघे ने संभाला।

करीब 7 हफ्तों बाद गोटाबाया राजपक्षे भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच अपने देश वापस लौटे है। वह शुक्रवार की देर रात सिंगापुर की एयरलाइन्स से कोलंबो के भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। कई मंत्रियों एवं सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामूना (एसएलपीपी) के सांसदों ने उनकी स्वागत किया।

राजपक्षे के लिए किए सुरक्षा के इंतजाम

राजपक्षे के नेतृत्व वाली पार्टी SLPP ने राष्ट्रपति से गोटाबाया राजपक्षे के लौटने के लिए अनुरोध किया था, जिसके बाद 19 अगस्त को महासचिव सागर करियावासम ने इस संबध में राष्ट्रपति विक्रमसिंघ के साथ बैठक की थी और महासचिव करियावासम के अनुरोध से ही राजपक्षे के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है।

देश – देश भटके राजपक्षे

देश छोड़ने के बाद राजपक्षे सबसे पहले मालदीव भागे उसके बाद वह मालदीव से सिंगापुर पहुंचे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए इस्तीफा भेजा था। बाद में राजपक्षे ने थाईलैंड के लिए उड़ान भरी जहां उन्हें थाईलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनई के आदेश पर राजपक्षे को थाईलैंड में  90 दिन तक रहने के लिए जगह मिल गयी थी, क्योंकि वह अब भी एक राजनयिक पासपोर्ट धारक हैं।

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 समझे पूरी घटना (Sri Lanka Economic Crisis)

  • इस साल 15 मार्च को श्री लंका में खाद्य पदार्थों पर इमरजेंसी लगाई गयी जिसके बाद आम जन भड़क उठे और विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया।
  • फिर 2 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन के बाहर उग्र प्रदर्शन शुरु हुआ और प्रदर्शन को देखते हुए आपातकाल लागू किया गया।
  • 4 अप्रैल को तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल के साथ 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
  • 6 मई को पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हाथापाई हुई जिसके बाद दुबारा आपातकाल लगा दिया गया।
  • 9 मई को तत्कालिन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद रानिल विक्रमसिंघे को नया प्रधानमंत्री बनाया गया।
  • 5 जुलाई को नए प्रधानमंत्री ने श्री लंका के दिवालीय होने की सूचना दी।
  • 9 जुलाई के दिन उग्र प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था जिससे तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया ने राष्ट्रपति भवन छोड़ कर भाग निकलें।
  • 9से 10 जुलाई के दिन उग्र प्रदर्शकारियों ने रानिल विक्रमसिंघे के घर आग लगा दी।  
  • 11 जुलाई के दिन 15 जुलाई से संसद का नया सत्र और 20जुलाई के दिन नए राष्ट्रपति चुनाव की सूचना जारी की गयी।
  • 13 जुलाई को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया और प्रदर्शनकारियों को देखते हुए इमरजेंसी लागू की गयी।

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