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बीएचयू के प्रोफेसर परिमल दास का शोध, एपी स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक डबल म्यूटेंट और ट्रिपल म्यूटेंट 

कोरोना भारत में जमकर कहर मचा रहा है। लेकिन इस तबाही के जिम्मेदार भारत में मिले डबल म्यूटेंट और ट्रिपल म्यूटेंट हैं। कुछ समय पहले हुए एक शोध में बताया गया था कि आंध्र प्रदेश में मिला कोरोना का एपी स्ट्रेन (AP Strain) भारत में भारी तबाही मचा सकता है, लेकिन वर्तमान में हुए शोध में यह साफ हो गया है कि भारत में मिले डबल (Double Mutant) और ट्रिपल म्यूटेंट (Triple Mutant) स्ट्रेन वास्तव में सबसे खतरनाक स्ट्रेन हैं। 

वर्तमान में यह शोध किया है बनारस हिंदू विवि (Banaras Hindu University) के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसआर्डर इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर परिमल दास (Prof. Parimal Das) और उनके शोध छात्र प्रशांत रंजन (Prashant Ranjan) ने।

पहले एपी स्ट्रेन माना जा रहा था सबसे खतरनाक : 
इसके पूर्व वैज्ञानिकों ने अपने शोध में बताया था कि बायोइन्फारमेटिक्स के अध्ययन से पता चला है कि आंध्र प्रदेश में मिला एपी स्ट्रेन जिसे एन 440के वैरिएंट भी कहा जाता है। अन्य भारतीय उपभेदों डबल म्यूटेंट (बी 1.617) और ट्रिपल म्यूटेंट (बी 1.618) की तुलना में 15 गुना अधिक वायरल हैं। लेकिन बीएचयू के प्रोफेसर डॉक्टर परिमल दास और उनके शोधार्थी प्रशांत रंजन ने इस थ्योरी को बिल्कुल पलट कर रख दिया है। 

(प्रो. परिमल दास, प्रोफेसर बीएचयू)

दोनों ने अपने शोध में पाया कि वास्तव में बी 1.617 और बी 1.618 ही अधिक वायरल हैं और भारत में मची तबाही के जिम्मेदार हैं।

एपी स्ट्रेन के आरबीडी क्षेत्र के आसपास नहीं होता परिवर्तन : 
प्रो. दास और प्रशांत रंजन के अध्ययन को यदि समझा जाए तो एपी स्ट्रेन या एन440के एक म्यूटेशन है। जहां एन (एएसएन) स्पाइक प्रोटीन के 440वें स्थान पर एस्परेजिन नामके अमीनो एसिड के लाइस में बदल गया है। जो एमिनो एसिड लाइजन है।

(प्रशांत रंजन, शोधार्थी, बीएचयू)
 
इस म्यूटेशन से स्पाइक प्रोटीन के आरबीडी क्षेत्र के आसपास कोई संरचनात्मक परिवर्तन नहीं होता है।

आरबीडी संरचना में परिवर्तन से बढ़ा संक्रमण : 
यह परिवर्तन एसीई2 के रिसेप्टर और एंटीबॉडी के साथ इंटरेक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही एसीई2 रिसेप्टर एसएआरएस कोविड 2 के माध्यम से मानव में संक्रमण फैलाता है। यदि आरबीडी संरचना बाधित हो जाती है तो एंटीबॉडी भी ठीक ढंग से स्पाइक प्रोटीन के आरबीडी से इंटरेक्ट नहीं कर पाता है। जिसके कारण यह वर्तमान में उपलब्ध टीकों के प्रभाव को भी कम कर सकता है। और भारत में बढ़े हुए संक्रमण का कारण बना हुआ है।

डबल और ट्रिपल म्यूटेंट के आरबीडी क्षेत्र में ज्यादा बदलाव : 
प्रो. परिमल दास और प्रशांत रंजन के अध्ययन से पता चला है कि आरबीडी क्षेत्र में एपी स्ट्रेन की तुलना में डबल और ट्रिपल म्यूटेंट की संरचना बदली हुई है। यही कारण है कि डबल और ट्रिपल म्यूटेंट एपी स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा खतरनाक हैं। वर्तमान स्थिति में भारत में वायरस के इन्हीं दोनों उपभेदों के कारण संक्रमण तेज गति से फैल रहा है।

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