एक तरफ कोरोना का प्रभाव पूरी दुनिया में कम नहीं हो रहा। वहीं दूसरी तरफ दुनियां के कई शोधकर्ता इस खतरनाक बीमारी की वैक्सीन बनाने में व्यस्त हैं। कोरोना वायरस को लेकर हाल ही में आयी खबर शायद आपको खुश करदे।
कोरोनोवायरस मामले पूरे राष्ट्र में चिंताजनक दर से बढ़ रहे हैं, इसी के चलते शोधकर्ता अब कम लागत वाली स्टेरॉयड दवा डेक्सामेथासोन के माध्यम से वायरस के लिए एक प्रभावी उपचार खोजने में सक्षम हो गए हैं।
इसका सकारात्मक विकास कल शाम (17 जून) को सामने आया, क्योंकि यूके आधारित शोध में पाया गया कि दवा की कम खुराक को नियंत्रित करने से गंभीर कोरोना रोगियों पर उपचार करने से उनकी सुधार पाया गया।
इसके अलावा डॉक्टर एंटी-वायरल दवाओं जैसे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, सेप्सिवैक, एविगन जैसी विभिन्न दवाओं के संयोजन का कोरोना रोगियों पर उपयोग कर रहे हैं जो वायरस को बेअसर करने और शरीर में एंटीबॉडी को बढ़ाने के लिए काम करते हैं।
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डेक्सामेथासोन परिणाम
वर्तमान में COVID-19 से लड़ने के लिए कोई स्वीकृत उपचार उपचार या इलाज नहीं हैं। कोरोना महामारी के लिए एक वैक्सीन विकसित करने पर 110 से अधिक समूह काम कर रहे हैं।
डेक्सामेथासोन एक स्टेरॉयड दवा है जिसे यूके में किए गए एक बड़े अध्ययन में कई कोरोना पॉजिटिव रोगियों को दिया गया है। यह काफी हद तक रोगियों के उपचार में सहायक हुई है।
नैदानिक अध्ययन के भाग के रूप में, 2,104 रोगियों को डेक्सामेथासोन दिया गया। डेक्सामेथासोन को कुछ अन्य प्रायोगिक दवाओं की तुलना में एक सस्ता और आसानी से उपलब्ध उपाय होने के लिए भी पसंद किया जा रहा है, जिनका उपयोग COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए किया जा रहा है। जबकि एचसीक्यू के उपयोग से ऑटो-इम्यून स्थितियों से पीड़ित रोगियों के लिए दवा की कमी हो गई। हाइड्रॉक्साइक्लोरोक्वीन को विवादों से भी दूर रखा गया था क्योंकि यह देखा गया था कि दवा कुछ मामलों में हृदय संबंधी जटिलताओं का कारण बन सकती है।
अब देखना यह होगा कि क्या दुनिया के मसहूर शोधकर्ता इस भयानक बीमारी की दवा बनाने में कामयाव होते हैं। या फिर इन एंटीवायोटिक दवाओं के प्रयोग से ही लोगों को कोरोना जैसी महामारी से बचाना होगा।