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संत नगर की गलियों में संक्रमण मचा रहा तांडव, 3 लाख की आबादी को सरकार एक शासकीय कोविड अस्पताल तक न दे पाई

संत हिरदाराम नगर में इन दिनों कोविड का जबरदस्त आतंक है। दरअसल यहां कई क्षेत्रों में घर बहुत नजदीक और छोटे हैं। कई जगह तो 450 वर्ग फीट के मकान में 7 से 8 लोग तक रह रहे हैं ऐसे में कई बार सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में संत हिरदाराम नगर में पिछले 3 सप्ताह से  संक्रमण अपने चरम पर है। वहीं इस बार कई युवाओं को भी संक्रमण की चपेट में आने के बाद अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसके बावजूद भी यहां स्थित एक मात्र सरकारी अस्पताल सिविल हॉस्पिटल बैरागढ़ को कोविड सेंटर बनाने में सरकार की कोई रुचि नहीं दिख रही है।

विधायक के बाद सांसद ने भी लिखा कलेक्टर को पत्र, लेकिन प्रशासन मौन :
सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन की सुविधा देने के लिए शुक्रवार को विधायक रामेश्वर शर्मा ने तल्ख लहजे में कलेक्टर अविनाश लवानिया को खत लिखा था। इसके पहले भी वे अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू करवाने को लेकर हर संभव प्रयास कर चुके हैं। लेकिन उनके प्रयासों को सफलता नहीं मिली। इससे निराश होकर उन्होंने प्रशासन को अल्टीमेटम जारी करते हुए 10 तारीख तक अस्पताल में सारी सुविधाएं शुरू करवाने की बात कही है। अन्यथा विधायक ने स्थानीय रहवासियों के साथ अस्पताल परिसर में धरना देने की बात कही है।


वहीं भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ने विधायक के बाद कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानिया को एक पत्र जारी कर कहा है कि बैरागढ़ स्थित सिविल अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया जाए। 
संत नगर में कोविड संक्रमण चरम पर  होने के कारण कई लोगों को समय पर सही इलाज नहीं मिला है। जिसके कारण लोगों की दर्दनाक मौत हुई है।जबकि बैरागढ़ सिविल अस्पताल में वेंटीलेटर और आईसीयू सहित सभी सुविधाएं हैं। केवल ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल कोविड सेंटर नहीं बन पा रहा है। 

दर दर भटके पर मां को नहीं मिला इलाज, रास्ते में ही तोड़ दिया दम :
गत दिनों संत हिरदाराम नगर निवासी प्रकाश छतवानी अपनी बीमार मां लक्ष्मी छतवानी का इलाज करवाने के लिए कई अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन अस्पतालों में जगह न होने की बात कहते हुए उन्हें भर्ती नहीं किया गया। जिसके कारण उनका रास्ते में ही दुखद निधन हो गया।  इसके बाद भी संत नगर में रोजाना कोई न कोई युवा और अन्य व्यक्ति सुविधाओं के अभाव में अपनी जान से हाथ धो रहा है। जिनमें से ज्यादातर युवा हैं। इसके बावजूद भी सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन देने के लिए कोई पहल नहीं हो रही है।

संत नगर का शमशान बयान कर रहा क्षेत्र की हकीकत :

(बैरागढ़ शमशान घाट पर गत दिनों 5 ट्रक लकड़ीअंतिम संस्कार के लिए भेजी गई, जो क्षेत्र की भयानक तस्वीर को बयां करने के लिए काफी है)

संत हिरदाराम नगर की हकीकत यहां का शमशान घाट बयां कर रहा। वैसे तो औसतन यहां 2 दिन में एक शव पहुंचता है। लेकिन पिछले 10 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां 20 से 29 अप्रैल के बीच 151 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। यहां बढ़ते कोरोना संक्रमण के बाद 19 अप्रैल को यहां के शमशान पर भी कोविड संक्रमित बॉडी जलाने की अनुमति शासन ने जारी की थी। वैसे यदि पिछले साल अप्रैल की बात की जाए तो यहां केवल 20 अंतिम संस्कार ही हुए थे। अंतिम संस्कार में अचानक हुई ये वृद्धि पिछले 70 सालों में सर्वाधिक है।

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