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PM Modi को क्यों हटाना चाहता है यह अमेरिकी, मामला हुआ गर्म

PM Modi

अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के भारत और PM Modi पर दिए बयान पर बवाल मच गया है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी जॉर्ज सोरोस के निशाने पर हैं. उधर कांग्रेस ने भी जॉर्ज की निंदा करते हुए कहा है कि हिंदुस्तान में लोकतांत्रिक बदलाव का रास्ता चुनावी प्रोसेस है. सोरोस जैसे लोग हमारे चुनावी नतीजे नहीं कर सकते.

दरअसल, जॉर्ज ने अडानी मुद्दे को लेकर PM Modi पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि अडानी के मुद्दे पर भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब सोरोस ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है. इसके पूर्व 2020 में 2020 में जॉर्ज ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. सोरोस म्युनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे.

उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत का मामला दिलचस्प है. भारत लोकतांत्रिक देश है लेकिन नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं है. मोदी की तेजी से बड़ा नेता बनने के पीछे अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है. सोरोस ने कहा, भारत क्वाड का मेंबर है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान भी उसके साथ है. लेकिन भारत इसके बावजूद रूस से बड़े डिस्काउंट पर तेल खरीद रहा है और मुनाफा कमा रहा है.

अडानी और PM Modi के मुद्दे पर बोले

जॉर्ज ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के दावों के बाद गौतम अडानी के साम्राज्य में उथल-पुथल मची हुई है. इसकी वजह से निवेशकों का विश्वास डोल चुका है. मोदी और अडानी के सहयोगी हैं. अदानी ने स्टॉक मार्केट से फंड अरेंज करने की कोशिश की, जिसमें वह फेल हो गए. पुल पर स्टॉक मार्केट के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में लगे हैं. PM Modi इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन विदेशी निवेशकों और संसद में उठ रहे सवालों का जवाब देना होगा.

जॉर्ज ने कहा, यह भारत की संघीय सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा और बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने की दरवाजे खोल देगा. उन्होंने कहा था, मुझे उम्मीद है कि भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा.

जोरोस इससे पहले 2020 में वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में भी भारत और पीएम मोदी को लेकर इस तरह बयान दे चुके हैं. तब उन्होंने कहा था कि PM Modi के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून का भी खुलकर विरोध किया था.

स्मृति ईरानी ने दिया जवाब

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज द्वारा प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी को लेकर करारा जवाब दिया है. स्मृति ईरानी ने कहा कि विदेशी धरती से भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे को हिलाने का प्रयास किया जा रहा है. जॉर्ज ने भारत के लोकतंत्र में दखल देने की कोशिश की है और मोदी उनके निशाने पर हैं.

उन्होंने जोड़ने पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने इंग्लैंड के बैंक को तोड़ दिया, एक व्यक्ति जिसे आर्थिक युद्ध अपराधी के रूप में नामित किया गया है, उसने अब भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने घोषणा की है कि वह PM Modi को अपने आने का मुख्य बिंदु बनाएंगे. ईरानी ने कहा कि जॉर्ज ने ऐलान किया है कि वह भारत में अपनी विदेशी ताकत के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि उनके हितों का संरक्षण करेगी.

स्मृति ईरानी ने कहा कि जॉर्ज एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनकी नापाक योजनाओं को सफल बनाने के लिए उनकी जरूरतों के हिसाब से काम करें. उनके बयानों से यह साफ तौर पर देखा गया है कि उन्होंने विशेष रूप से पीएम मोदी जैसे नेताओं को टारगेट करने के लिए एक अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग की घोषणा की है.

जवाब देने का वक्त

स्मृति ईरानी ने कहा कि आज जॉर्ज को हम एक सुर में जवाब दें कि लोकतांत्रिक परिस्थितियों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार और हमारे पीएम ऐसे गलत इरादों के सामने सिर नहीं झुकाएंगे. हमने विदेशी ताकतों को पहले ही हराया है और आगे भी हराएंगे. स्मृति ईरानी ने कहा कि आज एक नागरिक के नाते वे हर व्यक्ति, संस्था और समाज से अपील कर रही हैं कि अपने निजी लाभ के लिए भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का कमजोर करने की मंशा रखने वाले इस व्यक्ति की निंदा करें.

कांग्रेस की भी दो टूक

कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर जॉर्ज को फटकार लगाई है. उन्होंने कहा कि पीएम से जुड़ा अडानी घोटाला भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान शुरू करता है या नहीं, यह पूरी तरह कॉन्ग्रेस, विपक्ष हमारी चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर है. इससे जॉर्ज को कोई लेना देना नहीं है. हमारी नेहरु वादी विरासत यह तय करती है कि उन जैसे लोग हमारे चुनाव परिणाम तय नहीं कर सकते.

जॉर्ज सोरोस कौन है?

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जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था. वे खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी बताते हैं. हालांकि उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहता है. जॉर्ज ने 2020 में नरेंद्र मोदी(PM Modi), अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम दुनिया की तानाशाही के तौर पर बताया था.

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