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प्राचीन काल में अपराधियों को दी जाने वाली 9 क्रूर सजाएं जिनके बारे में जानकर आपकी रूह कांप जाएगी

वर्तमान समय में पूरी दुनया में किसी भी बड़े अपराध में अपराधियों को पीड़ित करने के लिए मौत की सजा अंतिम सजा है। लेकिन अगर प्राचीन काल की बात करें तो इसिहास में अपराध को लेकर कई ऐसी क्रूर सजाएं दर्ज है जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाऐगें।  

प्राचीन काल में दुनिया भर के, हर देश के पास अपने अपने मृत्युदंड देने के रचनात्मक तरीके थे। इन तरीकों में अपराधियों को मारने से ज्‍यादा लंबे समय तक पीड़ित का विचार किया जाता था। यहां हम बात करने वालें हैं प्राचीन काल में अपराधियों को दी जाने वाली 9 ऐसी ही सजाओं के बारे में जो अब दुनियां में पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं लेकिन इतिहास में यह सजाएं आज भी अपना बहुत महत्‍व रखती हैं।

  1. द रेक

रेक प्रचीन काल की में दी जाने वाली सबसे क्रूर सजाओं में से एक थी, इस सजा में अपराधि को लकड़ी की एक आयताकार फ्रेम (रेक) में दोषी के चार अंगो (दोनों हाथ और दोनों पैर) को जंजीरों के साथ रेक के चार कोनों में बांध दिया जाता था, और पुलियों और रोलर्स की मदद से उन्हें तब तक खींचा जाताथा, जब तक कि शरीर फट न जाए। इस सजा का इस्‍तेमाल अपराधी से गुप्‍त सूचनाएं निकलवानें के लिए किया जाता था।

  1. रेट मैथट (चूहों से उपयोग करके बनाई गई सजा)

प्राचीन काल में चूहों का उपयोग करके अपराधियों को मारने दर्दनाक की सजा को रेट मैथट का नाम दिया गया था। इस प्रक्रिया में चूहा जाल नामक एक यंत्र था जिसमें चूहों को एक पिंजरे के अंदर रखा जाता था। उस पिंजरे का एक मुंह खुला होता था जिसे अपराधी के सीने से बांध दिया जाता था। अब पिंजरे को बाहर से तब तक गर्म‍ किया जाता था जब तक चुहे अपराधी का शरीर फाड़ते हुए बाहर न आ जाएं।

  1. फ्लेयिंग

इसे स्किनिंग सजा भी कहा जाता है। वैसे तो यह मरे हुए जानवरों का खाल खींचने का एक तरीका है लेकिन, प्राचीन समय में जिंदा इंसानो पर इस सजा का उपयोग किया जाता था। जिंदा इंसान की खाल को धीरे धीरे तब तक खींचा जाता था जब तक की उसका मांस ओर हड्डियां न दिखने लगें। इस प्रक्रिया में 3 दिन लगते थे यानी 3 दिन तक अपराधी जिंदा इस प्रक्रिया के दर्द को सहता था।

  1. ब्रेकिंग व्हील

ब्रेकिंग व्हील का उपयोग करके मृत्युदंड देने का एक शास्त्रीय तरीका था। इस प्रक्रिया में एक पहिए का उपयोग किया जाता था जिससे अपराधी को बांध दिया जाता था। अब धीरे पहिए को घुमाया जाता था शरीर में तनाव की वजह से अपराधी की हड्डियां टूटती थी, और लंबे समय बाद उसकी जान चली जाती थी।

  1. इम्प्लिमेंट

नुकीले लोहें के सरिए, पोल, भाला, हुक या किसी भी हथियार से दी जाने वाली यह बहुत ही दर्दनाक सजा थी। इतिहास में अधिकतर इसका उपयोग बलात्‍कार के मामलों में किया जाता था। इस प्रक्रिया में अपाराधी के शरीर के जंगनांग छेदों में से नुकाले उपकरण धीरे धीरे तब तक चुभाए जाते थे जब तक वह शरीर के दूसरे हिस्‍से से न निकल जाएं। इस सजा में अपराधी की जान निकलने में लगभग  6 से 7 घंटे लगते थे एक लंबे दर्द के बाद आखिककार उसकी मौत हो जाती थी।

  1. शरीर को बीच में से काटना

इस सजा का उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे रोमन साम्राज्य, स्पेन और एशिया के कुछ हिस्सों में किया जाता था। इस सजा में अपराधी को एक स्थिति में उल्‍टा लटकाया जाता था और उसके शरीर को एक आरी से धीरे धीरे बीच में से काटा जाता था।

  1. बॉयलिंग

इस सजा में अपराधी को खौलते हुए तेल या पानी में तब तक उबाला जाता था तब तक की उसकी मृत्यु नहीं हो जाती। यह सजा ज्‍यादातर यूरोप और एशिया में चोरी के अपराधिओं को दंडित करने के लिए दी जाती थी।

  1. द ब्रैजन बुल

प्राचीन ग्रीकों द्वारा डिजाइन की गई इस विधि को द ब्रैजन बुल कहा जाता था, क्योंकि इसका आविष्कार सिसिली में हुआ था। इसमें कांस्य से बना एक पुतला का उपयोग किया जाता था। जो बैल की डिजाइन में बनाया जाता था, अपराधी को अंदर इसके अंदर बंद कर दिया जाता था। और बैल के नीचे आग लगा दी जाती थी, कांस्य को तब तक गर्म किया जाएगा जब तक कि अंदर का व्यक्ति भुना हुआ न हो जाए। इस उपकरण में ऐसी प्रणालियां भी थीं, जो इसांन की चींख को संगीत में बदल देती थी और बाहर बैठे लोग संगीत का आनंद लेते थे।

  1. हाथी से कुचल देना

अपराधी के सिर को हाथी के नीचे कुचलने की सजा प्राचीन भारत में और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में भी एक बहुत ही लोकप्रिय तरीका था। हाथियों को अपने शिकार को तुरंत मारने या इस सार्वजनिक तमाशे में समय के साथ धीरे-धीरे यातना देने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

प्राचीन समय में यह 9 सजाएं सबसे क्रूर और दर्दनाक मानी जाती थी। हालांकि सामाजिक बदलाव के कारण इस सभी सजाओं को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन इतिहास के पन्‍नों में अब इनके दर्द की कहानियां मौजूद हैं।

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